पूर्णिमा से अमावस्या के ये 15 दिन पितरों को कहे जाते हैं। इन 15 दिनों में पितरों को याद किया जाता है और उनका तर्पण किया जाता है। जिन घरों में पितरों को याद किया जाता है वहां हमेशा खुशहाली रहती है। इसलिए पितृपक्ष में पृथ्वी लोक में आए हुए पितरों का तर्पण किया जाता है। जिस तिथि को पितरों का गमन (देहांत) होता है उसी दिन पितरों का श्राद्ध किया जाता है।
श्राद्ध के तिथियां: 5 सितंबर को श्राद्ध पूर्णिमा
6 सितंबर को पूर्णिमा दोपहर तक रहेगी इसके बाद प्रतिपदा श्राद्ध होगा
7 सितंबर द्वितीया श्राद्ध
8 सितंबर तृतीया श्राद्ध
9 सितंबर चतुर्थी श्राद्ध
10 सितंबर पंचमी श्राद्ध
11 सितंबर षष्ठी श्राद्ध
12 सितंबर सप्तमी श्राद्ध
13 सितंबर अष्टमी श्राद्ध
14 सितंबर नवमी श्राद्ध
15 सितंबर दशमी श्राद्ध
16 सितंबर एकादशी श्राद्ध
17 सितंबर द्वादशी श्राद्ध त्रयोदशी श्राद्ध
18 सितंबर चतुर्दशी श्राद्ध
19 सिंतबर सर्व पितृ अमावस्या : सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या 19 सितंबर से शुरू होकर 20 सितंबर को दोपहर 11.15 बजे तक रहेगी।