कद्दू फल एवं बीज के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ Pumpkin benefits





कद्दू या  कुम्हड़ा एक स्थलीय, द्विबीजपत्री पौधा है जिसका तना लम्बा, कमजोर व हरे रंग का होता है। तने पर छोटे-छोटे रोयें होते हैं। यह अपने आकर्षों की सहायता से बढ़ता या चढ़ता है। इसकी लता (बेल) लम्बी, मोटी व चारों तरफ पृथक, प्रथम शाखा के रूप में जमीन पर फैलकर बढ़ती जाती है। इसके पत्ते बड़े, हृदयाकार तथा पुष्प नीले रंग के व एकल होते हैं। फल के रूप में प्राप्त कद्दू बड़े-बड़े गोलाकार या गोल लम्बवत् होते हैं। फल की मज्जा अपक्वावस्था में सफेद रंग की तथा परिपक्व होने पर पीले रंग की होती है। 

फल के अन्दर असंख्य सफेद रंग के चपटे फूले हुए बीज रहते हैं। इसका फूल पीले रंग का सवृंत, नियमित तथा अपूर्ण घंटाकार होता। नर एवं मादा पुष्प अलग-अलग होते हैं। नर एवं मादा दोनों पुष्पों में पाँच जोड़े बाह्यदल एवं पाँच जोड़े पीले रंग के दलपत्र होते हैं। नर पुष्प में तीन पुंकेसर होते हैं जिनमें दो एक जोड़ा बनाकार एवं तीसरा स्वतंत्र रहता है। मादा पुष्प में तीन संयुक्त अंडप होते हैं जिसे युक्तांडप कहते हैं। इसका फल लंबा या गोलाकार होता है। फल के अन्दर काफी बीज पाये जाते हैं। फल का वजन ४ से ८ किलोग्राम तक हो सकता है। सबसे बड़ी प्रजाति मैक्सिमा का वजन ३४ किलोग्राम से भी अधिक होता है। इस पौधे की आयु एक वर्ष होती है।


.कद्दू  फल

.कद्दू  स्वाद के साथ ही सेहत के लिए भी प्रकृति ने अपनी इस बड़ी देन में कई तरह के औषधीय गुण समेटे हैं। इसका सेवन स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इस सब्जी में पेट से लेकर दिल तक की कई बीमारियों के इलाज की क्षमता है। जहां यह हृदयरोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती है, वहीं कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी सहायक होती है। कद्दू में मुख्य रूप से बीटा केरोटीन पाया जाता है, जिससे विटामिन ए मिलता है। पीले और संतरी कद्दू में केरोटीन की मात्रा अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। बीटा केरोटीन एंटीऑक्सीडेंट होता है जो शरीर में फ्री रैडिकल से निपटने में मदद करता है। कद्दू ठंडक पहुंचाने वाला होता है। 


इसे डंठल की ओर से काटकर तलवों पर रगड़ने से शरीर की गर्मी खत्म होती है। कद्दू लंबे समय के बुखार में भी असरकारी होता है। इससे बदन की हरारत या उसका आभास दूर होता है। कद्दू का रस भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह मूत्रवर्धक होता है और पेट संबंधी गड़बड़ियों में भी लाभकारी रहताहै। यह खून में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक होता है और अग्नयाशय को भी सक्रिय करता है। इसी वजह से चिकित्सक मधुमेह के रोगियों को कद्दू के सेवन की सलाह देते हैं।
भारत में कद्दू की कई प्रजातियां पाई जाती हैं जिन्हें उनके आकार-प्रकार और गूदे के आधार पर मुख्य रूप से सीताफल, चपन कद्दू और विलायती कद्दू के वर्गों में बांटा जाता है। हमारे यहां विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर कद्दू की सब्जी और हलवा आदि बनाना-खाना शुभ माना जाता है। उपवास के दिनों में फलाहार के रूप में भी इससे बने विशेष पकवानों का सेवन किया जाता है।


कद्दू का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि कद्दू की उत्पत्ति उत्तरी अमेरिका में हुई होगी। पश्चिमी एशिया में इसका इस्तेमाल मीठे व्यंजन बनाने में किया जाता है। आगरा की प्रसिद्ध मिठाई श्पेठाश् भी इसी की प्रजाति की सब्जी से बनाई जाती है। अमेरिका, मेक्सिको, चीन और भारत इसके सबसे बड़े उत्पादक देश हैं। इसके साथ ही यह विश्व के अनेक देशों की संस्कृति के साथ जुड़ा है। भारत में विवाह जैसे मांगलिक अवसरों पर कद्दू की सब्जी और हलवा आदि बनाना-खाना शुभ माना जाता है। उपवास के दिनों में फलाहार के रूप में भी इससे बने विशेष पकवानों का सेवन किया जाता है। ईसाई देशों में हैलोईन के त्यौहार पर इसका विशेष महत्व होता है जहाँ इसे लालटेन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।



कद्दू बीज

कद्दू को सीताफल, कुम्हड़ा, काशीफल, मीठा कद्दू, चपन कद्दू आदि कई नामों से जाना जाता है। कद्दू के बीज भी बहुत गुणकारी होते हैं। कद्दू व इसके बीज विटामिन सी और ई, आयरन, कैलशियम मैग्नीशियम, फॉसफोरस, पोटैशियम, जिंक, प्रोटीन और फाइबर आदि के भी अच्छे स्रोत होते हैं। यह बलवर्धक, रक्त एवं पेट साफ करता है, पित्त व वायु विकार दूर करता है और मस्तिष्क के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। प्रयोगों में पाया गया है कि कद्दू के छिलके में भी एंटीबैक्टीरिया तत्व होता है जो संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से रक्षा करता है। शायद इन्हीं खूबियों की वजह से कद्दू को प्राचीन काल से ही गुणों की खान माना जाता रहा है।




विटामिन ई, जिंक और मैग्नीशियत के बेहतर स्रोत के रूप में कद्दू के बीज को जाना जाता है। साथ ही इसमें कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। कद्दू के बीज इम्यूनिटी को बेहतर बनाने का काम करते हैं और इंसुलिन के स्तर को सुधारते हैं।
कद्दू के बीज विटामिन सी और ई, आयरन, कैलशियम मैग्नीशियम, फॉसफोरस, पोटैशियम, जिंक, प्रोटीन और फाइबर आदि के भी अच्छे स्रोत होते हैं। इसमें श्वेतसार, कुकुर्बिटान नामक क्षाराभ, एकतिक्तराल, प्रोटीन-मायोसिन, वाईटेलिन शर्करा क्षार आदि पाए जाते हैं। यह बलवर्धक है, रक्त एवं पेट साफ करता है,


पित्त व वायु विकार दूर करता है और मस्तिष्क के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। प्रयोगों में पाया गया है कि कद्दू के छिलके में भी एंटीबैक्टीरिया तत्व होता है जो संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से रक्षा करता है। कद्दू के बीज भी आयरन, जिंक, पोटेशियम और मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं। इसमे खूब रेशा यानी की फाइबर होता है जिससे पेट हमेशा साफ रहता है। शायद इन्हीं खूबियों के कारण कद्दू को प्राचीन काल से ही गुणों की खान माना जाता रहा है।  यह खून में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक होता है और अग्नयाशय को भी सक्रिय करता है। इसी वजह से चिकित्सक मधुमेह के रोगियों को कद्दू के सेवन की सलाह देते हैं।

1.अनिद्रा, चिंता और तनाव (डिप्रेशन) - कद्दू के एक ग्राम बीजों में करीब 22 मिलीग्राम ट्रिप्टोफान प्रोटीन पाया जाता है, जिसे नींद का कारक भी माना जाता है।
2.हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा - कद्दू के बीज मिनरल मैग्नीशियम का एक समृद्ध स्रोत है, जो दिल के उपचार में मदद करता है।
3.रक्त शर्करा पर नियंत्रण - इस चमत्कारिक बीज में सुपाच्य प्रोटीन होता है। जो शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और अग्न्याशय को सक्रिय करता है। इसी कारण मधुमेह रोगियों को कद्दू के बीज खाने की सलाह दी जाती हैं।
4.प्रोस्टेटिक हाइपरट्रॉफी का खतरा कम करें - कद्दू के बीज के तेल में ओमेगा-3 बहुत अधिक मात्रा में होता है जो प्रोस्टेटिक अतिवृद्धि यानी बीपीएच के जोखिम को कम करने में मदद करता है।
5.एनर्जी देता है - जिन लोगों में एनर्जी का लेवल कम होता है, उन लोगों के लिए कद्दू के बीज रामबाण की तरह काम करते हैं। इन बीजों के सेवन शरीर में रक्त और ऊर्जा के स्तर के निर्माण में मदद करता है।
6.एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण की मौजूदगी - कद्दू को प्राचीन काल से ही गुणों की खान माना जाता रहा है। कुछ अध्ययनों से यह बात साबित हुई है कि कद्दू के बीजों में भरपूर मात्रा में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दर्द, बुखार, सूजन और जकड़न में इस्तेमाल होने वाली दवा (इंडोमेथासिन) के सामान ही प्रभावी होती है।



7.कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती है - बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए कद्दू के बीज फायदेमंद होते है। स्टेरॉल्स और फिटोस्टेरॉल नामक तत्व से भरपूर कद्दू के बीज शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते है।


8.फाइबर का अच्छा स्रोत - कद्दू के बीज रेशा यानी फाइबर से उच्च होते है। जो शरीर में फाइबर की आवश्यकता को पूरा करता है। साथ ही इसके सेवन से कब्ज की समस्या नहीं होती और पेट हमेशा साफ रहता है।
9.एसिटिडी का इलाज - कद्दू के बीज में शरीर के पीएच को अल्कलाइजिंग करता है जिससे पेट में एसिड के गठन को रोकता है। एसिड की समस्या से बचने के लिए इसे अपने आहार में शामिल करें। इसे आप सब्जी, सूप, सलाद, जिसमें चाहे और जैसे चाहे खा सकते हैं।

कद्दू के बीज का  सूप, सलाद और सब्जियों के साथ फ्राय करके भी खा सकते हैं।

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