पंचतंत्र की कहानियां : बुरी बात है नकल और मेहमान जो है मुफ्तखोर




बुरी बात है नकल
एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था। पहाड़ की तराई में बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था। वह बड़ा चालाक और धूर्त था। उसकी कोशिश सदा यही रहती थी कि बिना मेहनत किए खाने को मिल जाए। पेड़ के आसपास खोह में खरगोश रहते थे। जब भी खरगोश बाहर आते तो बाज ऊंची उड़ान भरते और एकाध खरगोश को उठाकर ले जाते।
एक दिन कौए ने सोचा, ‘वैसे तो ये चालाक खरगोश मेरे हाथ आएंगे नहीं, अगर इनका नर्म मांस खाना है तो मुझे भी बाज की तरह करना होगा। एकाएक झपट्टा मारकर पकड़ लूंगा।’
दूसरे दिन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने की बात सोचकर ऊंची उड़ान भरी। फिर उसने खरगोश को पकड़ने के लिए बाज की तरह जोर से झपट्टा मारा। अब भला कौआ बाज का क्या मुकाबला करता। खरगोश ने उसे देख लिया और झट वहां से भागकर चट्टान के पीछे छिप गया। कौआ अपनी हीं झोंक में उस चट्टान से जा टकराया। नतीजा, उसकी चोंच और गरदन टूट गईं और उसने वहीं तड़प कर दम तोड़ दिया।
शिक्षा—नकल करने के लिए भी अकल चाहिए।

मेहमान जो है मुफ्तखोर 

एक राजा के शयनकक्ष में मंदरीसर्पिणी नाम की जूं ने डेरा डाल रखा था। रोज रात को जब राजा जाता तो वह चुपके से बाहर निकलती और राजा का खून चूसकर फिर अपने स्थान पर जा छिपती।
संयोग से एक दिन अग्निमुख नाम का एक खटमल भी राजा के शयनकक्ष में आ पहुंचा। जूं ने जब उसे देखा तो वहां से चले जाने को कहा। उसने अपने अधिकार-क्षेत्र में किसी अन्य का दखल सहन नहीं था।
लेकिन खटमल भी कम चतुर न था, बोलो, ‘‘देखो, मेहमान से इसी तरह बर्ताव नहीं किया जाता, मैं आज रात तुम्हारा मेहमान हूं।’’
जूं अततः खटमल की चिकनी-चुपड़ी बातों में आ गई और उसे शरण देते हुए बोली,
‘‘ठीक है, तुम यहां रातभर रुक सकते हो, लेकिन राजा को काटोगे तो नहीं उसका खून चूसने के लिए।’’
खटमल बोला, ‘‘लेकिन मैं तुम्हारा मेहमान है, मुझे कुछ तो दोगी खाने के लिए। और राजा के खून से बढ़िया भोजन और क्या हो सकता है।’’

‘‘ठीक है।’’ जूं बोली, ‘‘तुम चुपचाप राजा का खून चूस लेना, उसे पीड़ा का आभास नहीं होना चाहिए।’’
‘‘जैसा तुम कहोगी, बिलकुल वैसा ही होगा।’’ कहकर खटमल शयनकक्ष में राजा के आने की प्रतीक्षा करने लगा।
रात ढलने पर राजा वहां आया और बिस्तर पर पड़कर सो गया। उसे देख खटमल सबकुछ भूलकर राजा को काटने लगा, खून चूसने के लिए।
ऐसा स्वादिष्ट खून उसने पहली बार चखा था, इसलिए वह राजा को जोर-जोर से काटकर उसका खून चूसने लगा। इससे राजा के शरीर में तेज खुजली होने लगी और उसकी नींद उचट गई। उसने क्रोध में भरकर अपने सेवकों से खटमल को ढूंढकर मारने को कहा।

यह सुनकर चतुर खटमल तो पंलग के पाए के नीचे छिप गया लेकिन चादर के कोने पर बैठी जूं राजा के सेवकों की नजर में आ गई। उन्होंने उसे पकड़ा और मार डाला।
शिक्षा—अजनबियों पर कभी विश्वास न करो।

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