हर सब्जी में कुछ न कुछ औषधिय गुण होता है। ऐसी कोई भी सब्जी नहीं जिसमें ऐसे गुण नहीं पाए जाते है। सब्जी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोघक क्षमता को तो बढ़ाती ही है साथ ही पोषक तत्वों से स्वस्थ भी रखती है। लसोड़ा भी एक ऐसी ही सब्जी है।
लसोड़ा को साधारण भाषा में गोंदी और निसोरा भी कहते हैं। इसके फल सुपारी के बराबर होते हैं। कच्चा लसोड़ा का साग और आचार भी बनाया जाता है। पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं व इसके अंदर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है। लसोड़ा मध्यभारत के वनों में देखा जा सकता है। यह एक विशाल पेड़ होता है। जिसके पत्ते चिकने होते है। आदिवासी अक्सर इसके पत्तों को पान की तरह चबाते हैं। इसकी लकड़ी इमारती उपयोग की होती है। इसे रेठु के नाम से भी जाना जाता है, हालांकि इसका वानस्पतिक नाम कार्डिया डाईकोटोमा है। आदिवासी लसोड़ा का इस्तेमाल अनेक रोग निवारणों के लिए करते हैं,
Glue Berry Benefits for Health
1. इसकी छाल की लगभग 200 ग्राम मात्रा लेकर इतने ही मात्रा पानी के साथ उबाला जाए और जब यह एक चौथाई शेष रहे तो इससे कुल्ला करने से मसूड़ों की सूजन, दांतो का दर्द और मुंह के छालों में आराम मिल जाता है।
2. भारतवर्ष के आदिवासी लसोड़ा के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाते है और मैदा, बेसन और घी के साथ मिलाकर लड्डू बनाते हैं। इनका मानना है कि इस लड्डू के सेवन शरीर को ताकत और स्फूर्ती मिलती है।
3. लसोड़े की छाल को पानी में उबालकर छान लें। इस पानी से गरारे करने से गले की आवाज खुल जाती है।
4. इसके बीजों को पीसकर दाद-खाज और खुजली वाले अंगो पर लगाया जाए तो आराम मिलता है।
5. छाल के रस को अधिक मात्रा में लेकर इसे उबाला जाए और काढ़ा बनाकर पिया जाए तो गले की तमाम समस्याएं खत्म हो जाती है।
6. लसोड़ा की छाल को पानी में घिसकर प्राप्त रस को अतिसार से पीड़ित व्यक्ति को पिलाया जाए तो आराम मिलता है।
7. छाल का काढ़ा और कपूर का मिश्रण तैयार कर सूजन वाले हिस्सों में मालिश की जाए तो फायदा होता है।
8. लसोड़ा के पत्तों का रस प्रमेह और प्रदर दोनों रोगों के लिए कारगर होता है। लसोड़ा की छाल का काढा तैयार कर माहवारी की समस्याओं से परेशान महिला को दिया जाए तो आराम मिलता है।
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