भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक लगभग 15–16 दिनों का समय **पितृ पक्ष** कहलाता है। इसे **श्राद्ध पक्ष** या **महालय पक्ष** भी कहा जाता है।
इस दौरान हम अपने पूर्वजों (पितरों) को याद करके उन्हें जल (तर्पण), भोजन (श्राद्ध), और पिंडदान अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इन दिनों हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से अन्न-जल की प्रतीक्षा करते हैं।
आपकी जानकारी के लिए: **पितृ पक्ष (शरद)** 2025 की तिथियाँ निम्नलिखित हैं:
## पितृ पक्ष श्राद्ध तिथियों का दिन-प्रतिदिन विवरण (नव दिल्ली / उत्तर भारत के अनुसार)
| तारीख (2025) | श्राद्ध तिथि |
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| 7 सितंबर (रवि) | पूर्णिमा श्राद्ध (Purnima Shraddha) |
| 8 सितंबर (सोम) | प्रतिपदा श्राद्ध (Pratipada Shraddha) |
| 9 सितंबर (मंगल) | द्वितीया श्राद्ध (Dwitiya Shraddha) |
| 10 सितंबर (बुध) | तृतीया और चतुर्थी श्राद्ध (Tritiya & Chaturthi) |
| 11 सितंबर (गुरु) | पंचमी श्राद्ध (Panchami Shraddha) (महा भरनी) |
| 12 सितंबर (शुक्र) | षष्ठी श्राद्ध (Shashthi Shraddha) |
| 13 सितंबर (शनि) | सप्तमी श्राद्ध (Saptami Shraddha) |
| 14 सितंबर (रवि) | अष्टमी श्राद्ध (Ashtami Shraddha) |
| 15 सितंबर (सोम) | नवमी श्राद्ध (Navami Shraddha) |
| 16 सितंबर (मंगल) | दशमी श्राद्ध (Dashami Shraddha) |
| 17 सितंबर (बुध) | एकादशी श्राद्ध (Ekadashi Shraddha) |
| 18 सितंबर (गुरु) | द्वादशी श्राद्ध (Dwadashi Shraddha) |
| 19 सितंबर (शुक्र) | त्रयोदशी श्राद्ध (Trayodashi Shraddha) |
| 20 सितंबर (शनि) | चतुर्दशी श्राद्ध (Chaturdashi Shraddha) |
| 21 सितंबर (रवि) | सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya / Mahalaya Amavasya) |
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यदि आप चाहें तो मैं इस अवधि में तर्पण, पिंडदान, मुहूर्त या किसी विशेष तिथि का विस्तार से विवरण भी हिंदी में प्रदान कर सकता हूँ। बस बताइए!
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### 2025 की तारीखें
* **शुरुआत:** 7 सितंबर 2025, रविवार (पूर्णिमा श्राद्ध)
* **अंत:** 21 सितंबर 2025, रविवार (सर्वपितृ अमावस्या / महालय अमावस्या)
यानी 7 सितंबर को शुरुआत होगी और 21 सितंबर को अंतिम दिन सभी पितरों का सामूहिक श्राद्ध किया जाएगा। अगर किसी को अपने पूर्वज की तिथि ज्ञात न हो तो वह **सर्वपितृ अमावस्या** को श्राद्ध कर सकता है।
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### इस समय का महत्व
* इसे **कृतज्ञता का समय** माना जाता है – अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने का।
* पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना की जाती है।
* माना जाता है कि पितरों का आशीर्वाद परिवार में सुख-समृद्धि और उन्नति लाता है।
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👉 सरल शब्दों में, **7 से 21 सितंबर 2025 तक का समय वह पवित्र अवसर है जब हम अपने गुज़रे हुए प्रियजनों और पूर्वजों को याद करके उन्हें प्रेम और श्रद्धा अर्पित करते हैं।**
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