दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और सबसे रोशन त्योहार माना जाता है। यह पांच दिवसीय पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय, असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार में घरों को दीपों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है, लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं और लक्ष्मी पूजा की जाती है ताकि घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।
लेकिन दिवाली की इस चमक-धमक और खुशी के माहौल में कई बार हम कुछ ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जो हमारे लिए भारी पड़ सकती हैं। ये गलतियाँ न केवल आर्थिक और शारीरिक नुकसान पहुंचा सकती हैं, बल्कि हमारे जीवन में नकारात्मकता भी ला सकती हैं।
इस लेख में हम जानेंगे कि दिवाली के समय क्या-क्या काम करने से बचना चाहिए, ताकि ये पवित्र पर्व आपके लिए अशुभ न बन जाए और आप न बर्बाद हों, न पछताएँ।
1. कर्ज लेकर दिवाली की खरीदारी करना
दिवाली के समय बाजार में बहुत सारे ऑफर्स और छूट चलती हैं। ऐसे में कई लोग बिना सोच-विचार किए कर्ज लेकर शॉपिंग करने लगते हैं। क्रेडिट कार्ड से जरूरत से ज्यादा खर्च करना, लोन लेकर गिफ्ट्स खरीदना या घर सजाने की चीजें लेना एक आम बात हो गई है।
लेकिन ध्यान रखें, यह एक दिन की खुशी आपकी महीनों की कमाई बर्बाद कर सकती है। अगर आप सोचते हैं कि बाद में चुका देंगे, तो ये सोच कई बार लोगों को कर्ज के जाल में फंसा देती है। दिवाली का असली मतलब दिखावा नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और संतोष है।
इसलिए:
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अपनी सामर्थ्य के अनुसार ही खरीदारी करें।
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क्रेडिट कार्ड का उपयोग सोच-समझकर करें।
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दिखावे के चक्कर में आर्थिक बोझ न बढ़ाएं।
2. पटाखों का अत्यधिक उपयोग
पटाखे दिवाली की पहचान बन चुके हैं, लेकिन इनसे होने वाला वायु और ध्वनि प्रदूषण किसी से छुपा नहीं है। हर साल हजारों लोग पटाखों के कारण घायल होते हैं और अस्पताल पहुँचते हैं। बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए यह और भी खतरनाक होता है।
इसके अलावा:
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कई बार पटाखों से आग लग जाती है।
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जानवरों को इससे बहुत तकलीफ होती है।
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बीमार लोगों के लिए ये जानलेवा हो सकता है।
ध्यान रखें: यह खुशी का त्योहार है, अफसोस का नहीं। पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर हमें कोई पुण्य नहीं मिलेगा।
इसलिए:
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कम प्रदूषण वाले ‘ग्रीन क्रैकर्स’ का ही प्रयोग करें।
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बच्चों को पटाखों से दूर रखें।
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पटाखे जलाते समय सावधानी बरतें।
3. वास्तु और पूजा नियमों की अनदेखी
दिवाली पर लक्ष्मी माता और गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। यदि यह पूजा विधिपूर्वक और नियमों के अनुसार न की जाए, तो इसका प्रभाव उल्टा भी हो सकता है।
कुछ बातें जो लोग अक्सर नजरअंदाज करते हैं:
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पूजा स्थान की दिशा गलत होना।
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लक्ष्मी जी की मूर्ति को दरवाजे की ओर पीठ करके रखना।
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पूजा में अशुद्धता रखना (जैसे गंदे वस्त्र, अपवित्र हाथ आदि)।
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पूजा के समय मोबाइल में लगे रहना।
ध्यान रखें: मां लक्ष्मी वहीं वास करती हैं जहाँ शुद्धता, स्वच्छता और श्रद्धा होती है।
इसलिए:
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पूजा घर को अच्छी तरह साफ करें।
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पूजन सामग्री शुद्ध और पूर्ण हो।
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पूजा में पूरे मन और श्रद्धा से शामिल हों।
4. झूठ बोलना या धोखा देना
कुछ लोग दिवाली के समय व्यापार में अधिक लाभ कमाने के लिए झूठ बोलते हैं या मिलावट करते हैं। मिठाइयों में नकली दूध, सस्ते रंग, या पुराने माल को नए कहकर बेचना बहुत आम हो गया है।
याद रखें:
"दूसरों का हक मारकर जो धन कमाया जाता है, वह कभी सुख नहीं देता।"
धोखा और झूठ से अर्जित धन कभी मां लक्ष्मी की कृपा नहीं ला सकता, बल्कि इसके उलट, यह धन अशुभता को बुलावा देता है।
इसलिए:
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ईमानदारी से काम करें।
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शुद्धता और गुणवत्ता का ध्यान रखें।
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ग्राहकों को गुमराह न करें।
5. घर की सफाई में लापरवाही
दिवाली से पहले घर की सफाई एक परंपरा है। यह केवल दिखावे के लिए नहीं होती, बल्कि इसका धार्मिक और मानसिक महत्व भी है। ऐसा माना जाता है कि मां लक्ष्मी साफ-सुथरे घरों में ही वास करती हैं।
लेकिन कई लोग या तो सफाई को गंभीरता से नहीं लेते, या फिर सिर्फ बाहर की सफाई तक सीमित रहते हैं। घर के अंदर की गंदगी, कोनों में जाले, और अनावश्यक सामान को अनदेखा करना मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है।
इसलिए:
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पूरे घर की सफाई करें – बाहर और अंदर दोनों।
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टूटी-फूटी चीजों को बाहर करें।
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अनावश्यक चीजें दान करें या फेंक दें।
6. क्रोध, विवाद और अपशब्दों से बचें
त्योहारों पर अक्सर परिवार एक साथ आते हैं। ऐसे समय में कोई छोटी बात भी बड़ा झगड़ा बन सकती है। लेकिन ध्यान रखें, दिवाली मेलजोल और खुशी का पर्व है। यदि आप क्रोध में आकर किसी को अपशब्द कहते हैं, या झगड़ा करते हैं, तो त्योहार का पूरा आनंद खत्म हो सकता है।
धार्मिक दृष्टि से भी, नकारात्मक ऊर्जा वाले माहौल में देवी-देवता प्रसन्न नहीं होते।
इसलिए:
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शांत रहें।
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माफ करना और समझौता करना सीखें।
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दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें।
7. शराब या नशे का सेवन
कुछ लोग दिवाली की पार्टी के नाम पर शराब पीते हैं और नशे में गाड़ी चलाते हैं या लोगों से बदतमीज़ी करते हैं। ये हरकतें न केवल समाज के लिए हानिकारक हैं, बल्कि खुद के लिए भी।
नशा करने से:
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दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
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रिश्तों में दरार आ सकती है।
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धन की बर्बादी होती है।
दिवाली आत्मिक शुद्धि और खुशी का पर्व है, न कि नशे में धुत्त होने का मौका।
इसलिए:
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नशे से दूर रहें।
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संयम और मर्यादा बनाए रखें।
8. दीपक और लाइट्स के कारण होने वाली दुर्घटनाएं
इसलिए:
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बिजली की सजावट करते समय एक्सपर्ट की सलाह लें।
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दिए जलाते समय ध्यान रखें कि वे सुरक्षित जगह पर हों।
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बच्चों को अकेले दीपक या लाइट से खेलने न दें।
9. दूसरों की तुलना और ईर्ष्या करना
दिवाली पर लोग अक्सर यह देखते हैं कि किसके घर में कितनी लाइटिंग है, कौन कितना महंगा गिफ्ट दे रहा है, किसने कौन सी गाड़ी खरीदी। ऐसी तुलना और ईर्ष्या न केवल हमारी खुशी को खत्म करती है, बल्कि यह मानसिक तनाव का कारण भी बनती है।
ध्यान रखें: हर किसी की आर्थिक स्थिति अलग होती है। दूसरों से तुलना कर के आप अपने जीवन की शांति खो बैठते हैं।
इसलिए:
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जो है उसमें संतोष रखें।
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दूसरों की खुशी में खुश होना सीखें।
10. जानवरों के साथ अमानवीय व्यवहार
दिवाली पर पटाखों के शोर से जानवर बहुत परेशान होते हैं। कई लोग तो पटाखे कुत्तों या जानवरों पर फेंकते हैं, जो बेहद अमानवीय और क्रूर व्यवहार है।
याद रखें: पशु भी इस धरती के जीव हैं और उन्हें भी जीने का अधिकार है।
इसलिए:
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जानवरों के प्रति दया रखें।
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पटाखों से उन्हें दूर रखें।
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उन्हें सुरक्षित स्थान दें।
निष्कर्ष
दिवाली केवल रोशनी, मिठाई और पटाखों का पर्व नहीं है। यह आत्मचिंतन, स्वच्छता, संयम और अध्यात्म का भी समय है। यदि हम इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें, तो यह पर्व हमारे जीवन में खुशियाँ, समृद्धि और सकारात्मकता लेकर आएगा। लेकिन अगर हमने लापरवाही बरती, तो यह शुभ अवसर अशुभ परिणाम भी ला सकता है।
इसलिए इस दिवाली पर संकल्प लें:
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कोई भी ऐसा काम नहीं करेंगे
जो हमें, समाज को या प्रकृति को नुकसान पहुँचाए।
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अपने घर और मन दोनों को स्वच्छ बनाएँगे।
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सच्चाई, ईमानदारी और प्रेम का मार्ग अपनाएँगे।
दिवाली का पर्व तभी सार्थक होगा जब हर व्यक्ति उसके पीछे छिपे संदेश को समझे और अमल में लाए।
आप सभी को दीपों के इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
"शुभ दीपावली!"
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