पिप्पली, पाइपरेसी परिवार का पुष्पीय पौधा है। इसकी खेती इसके फल के लिये की जाती है। इस फल को सुखाकर मसाले, छौंक एवं औदषधीय गुणों के लिये आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता है। इसका स्वाद अपने परिवार के ही एक सदस्य काली मिर्च जैसा ही किन्तु उससे अधिक तीखा होता है। इस परिवार के अन्य सदस्यों में दक्षिणी या सफ़ेद मिर्च, गोल मिर्च एवं ग्रीन पैपर भी हैं। इनके लिये अंग्रेज़ी शब्द पैपर इनके संस्कृत एवं तमिल/मलयाली नाम पिप्पली से ही लिया गया है।
पिपली का मेडिसनल प्रयोग
1. आँखों की तकलीफें (Pipli for Eyes)
पिपली का पाउडर बना कर आँखों में लगायें। इससे विज़न प्रॉब्लम और नाईट ब्लाइंडनेस ठीक होती है।
एक भाग पिपली और 2 भाग हरीतकी को पानी के पीस कर उसकी बत्तियां बना कर आँखों में रखने से ऑय-फ्लू और आँखों से पानी बहने की समस्या हल होती है।
2. दांतों की तकलीफें (Pipli for Teeth)
1-2 ग्राम पिपली पाउडर, सेंधा नमक, हल्दी और सरसों के तेल का मिक्सचर दांत पर लगाने से दांत का दर्द दूर होता है।
3. कान का दर्द (Pipli for Ear Pain)
जलती हुई पिपली का कान में धूँआ करने से कान का दर्द ठीक होता है।
4. लैक्टेशन के लिए (Pipli for Lactation)
2 ग्राम पिपली और ऐस्पैरागस खाने से महिलाओं में लैक्टेशन बढ़ता है।
2 भाग पिपली, 2 भाग सोंठ और 2 भाग आंवला पाउडर में 3 ग्राम गुड़ मिलाकर दूध और घी के साथ बच्चों को फीड करने वाली महिलाओं को देने से लैक्टेशन बढ़ता है।
5. हिचकी (Pipli for Hiccup)
पिपली और मुलेठी पाउडर समान मात्रा में लेकर मिलाएं, उसमें से 3 ग्राम को वाइल्ड सित्रौन जूस और पानी के साथ मिलाकर पीयें। हिचकी में आराम मिलेगा।
पिपली और शक्कर को सामान मात्रा में मिलाकर पानी के साथ लेने से भी हिचकियाँ बंद होती हैं।
6. स्पास्मोडिक स्टमक (Pipli Spasmodic Stomach)
पेट में एंठन को कम करने के लिये पिपली की जड़ का पाउडर, दूध और बांसा का मिक्सचर बना के पानी के साथ लेना चाहिए।
7. हर्निया (Pipli for Hernia)
पिपली, जीरा, कूथ और गाय का गोबर बराबर मात्रा में चावल के दलिए के साथ मिला कर पेस्ट बनायें और अप्लाई करें। यह सिर्फ शुरूआती दौर में ही किया जा सकता है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो फिर सर्जरी के अलावा कोई विकल्प नहीं।
8. लिवर और स्प्लीन एनलार्जमेंट (Pipli for Liver and Spleen Enlargement )
लिवर एनलार्जमेंट को कण्ट्रोल करने के लिए 2-4 ग्राम पिपली 1 टीस्पून शहद के साथ रोज़ सुबह और शाम लेना चाहिए।
पिपली डीकोक्षण कफ और भारीपन कम करता है। यह वात और कफ से सम्बंधित बीमारियाँ हटाता है। इससे बुखार भी कण्ट्रोल होता है और स्प्लीन भी। 3 ग्राम पिपली को 1 ग्राम पानी में उबालें। एक चम्मच शहद मिला कर सुबह शाम खाएं।
9. अपच (Pipli for Indigestion)
गुड़ और 250 ग्राम पिपली का मिक्सचर, एक किलो गाय का घी मध्यम आंच पर उबालें। घी पूरा पिघल कर मिक्सचर में मिल जाए तब आंच से उतारें। एक एक चम्मच दिन में तीन बात लगाने से पाचन की समस्या हल होती है।
10. पाइल्स (Pipli for Piles)
पिपली पाउडर एक चम्मच, सिका हुआ जीरा एक चम्मच, बटर में मिक्स किया हुआ सेंधा नमक सुबह खाली पेट लेने से पाइल्स में आराम मिलता है।
पिपली, सेंधा नमक, कूठ और सिरसा सीड्स को बराबर मात्रा में मिलाकर पाउडर बनाएं। इसको कैक्टस के दूध या बकरी के दूध में मिक्स करके पेस्ट बनाकर ऑइंटमेंट की तरह लगायें। पाइल्स और बवासीर कम होने लगेंगी। कैक्टस का दूध बहुत जबर्दस्त असर करता है इसलिए इसे लगाते समय सावधानी बरतें।
11. पीरियड्स और प्रेगनेंसी के लिए (Pipli for Periods and Pregnancy)
पिपली, सोंठ, पेप्पर, नाग चंपा तो बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाएं। अगर इसे घी में मिक्स करके दूध के साथ लिया जाता है तो बाँझ महिलाएं आसानी से कंसीव कर सकती हैं।
यूट्रस से सम्बंधित जलन या अन्य तकलीफें इसी चूर्ण से ख़त्म हो सकती हैं।हार्मोनल इम्बेलेंस और मेन्स्त्रुअल पेन के लिए यह दवा बहुत प्रभावशाली है। इस दवा को दो से तीन महीने लगातार सुबह और शाम लेना चाहिए।
12. डिलीवरी पेन (Pipli for Delivery Pain)
डिलीवरी पेन को कम करने और आसान डिलीवरी के लिए 3 ग्राम पिपली और 3 ग्राम लोटस को मिक्स करके 400 ग्राम पानी में उबालें। जब यह 100 ग्राम रह जाए तो छान कर इसमें शहद या हींग मिला कर प्रेग्नेंट महिला को दें। इससे लेबर पेन बढ़ेंगे और जल्दी एवं आसान डिलीवरी होगी। इस कोल्ड डीकोक्षण से प्लासेन्टा मेम्ब्रेन जल्दी बाहर आती है।