शरीर काे ताकतवर बनाना है तो यह भी अाजमाए





सर्दियों में पाचन तंत्र बहुत ही तेज हो जाता है। भूख भी ज्यादा लगती है। इन  दिनों लोग अपने खान पान में भी घी,तेल व सूखे  मेवों का ज्यादा प्रयोग करते है ताकि सेहत बनी रहे। इसी के मद्देनजर शीतकाल में कैसे स्वस्थ रहे  आइए जानते है।
अलसी के लड्डूयों से होने वाले लाभ
सर्दियों के मौसम में अलसी के लड्डू खाने से हमारे शरीर को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। सर्दियों के मौसम में आने वाले बुखार, जुकाम, खांसी को दूर करने के लिये अलसी के लड्डूयों को आयुर्वेदिक औषदि के रूप में माना जाता हैं। जो सभी प्रकार कि बिमारियों को खत्म करने में बहुत लाभकारी हैं।

शरीर में आने वाली कमजोरी और बच्चो के स्बास्थ को ठीक रखने के लिए अलसी के लड्डू बहुत लाभदायक है।

अगर कोई व्यक्ति दिल का रोगी हो तो उसे हर रोज दूध के साथ अलसी के लड्डूयों का सेवन करना चाहिए, अलसी दिल की बिमारियों को दूर करने के लिए भी लाभकारी है।

अलसी के लड्डूयों का सेवन करने से पथरी जैसे रोगों को भी खत्म किया जा सकता हैं।

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पुराने से पुराने जोड़ों के दर्द को खत्म करने के लिए अलसी बहुत फायदेमंद है सर्दियों के मौसम में रोजाना अलसी के लड्डूयों का सेवन करने से आप अपने सभी प्रकार के जोड़ो के दर्द से मुक्ति पा सकते हैं।


डॉक्टरों का भी मानना है कि सर्दियों में अलसी का सेवन करके मनुष्य अपने शरीर को कई प्रकार की बिमारियों से दूर रख सकता हैं

1) गाजर का हलवा :
 गाजर में लौह तत्व व विटामिन ‘ए’ काफी मात्र में पाये जाते है | यह वायुशामक,ह्रदय व मस्तिष्क की नस- के लिए बलप्रद, रक्तवर्धक व नेत्रों के लिए लाभदायी है |
विधि : गाजर के भीतर का पीला भाग हटा के उसे कद्दूकस कर घी में सेंक लें | आधी मात्र में मिश्री मिलाकर धीमी आँच पर पकाये | तैयार होने पर इलायची, मगजकरी के बीज व थोड़ी-सी खसखस डाल दें | (दूध का उपयोग न करे |)

2) कद्दू के बीज की बर्फी : 
काजू में जैसे मौलिक व पुष्टिदायी तत्व पाए जाते है, वैसे ही कद्दू के बीजों में भी होते है |
विधि :बीज की गिरी को घी में सेंक के समभाग चीनी मिला के बर्फी या छोटे-छोटे लड्डू बना लें | एक – दो लड्डू सुबह चबा-चबाकर खाए |
विशेस रूप से बालकों के लिए यह स्वादिष्ट, बल व बुद्धिवर्धक खुराक है |

3) खजूर की पुष्टिदायी गोलियाँ : 
विधि :सिघांड़े के आते को घी में सेंक ले | आते के समभाग खजूर को मिक्सी में पीसकर उसमें मिला ले | हलका सा सेंककर बेर के आकार की गोलियाँ बना लें | २-४ गोलियाँ सुबह चूसकर खायें, थोड़ी देर बाद दूध पियें | इससे अतिशीघ्रता से रक्त की वृद्धी होती है | उत्साह, प्रसन्नता व वर्ण में निखार आता है | गर्भिणी माताएँ छठे महीने से यह प्रयोग शुरू करे | इससे गर्भ का पोषण व प्रसव के बाद दूध में वृद्धी होगी | माताएँ बालकों को हानिकारक चॉकलेटस की जगह ये पुष्टिदायी गोलियाँ खिलायें |

4) वीर्यवर्धक योग 
विधि :४-५ खजूर रात को पानी में भिगो के रखे | सुबह १ चम्मच मक्खन, १ इलायची व थोडा – सा जायफल पानी में घिसकर उसमें मिला के खली पेट लें | यह वीर्यवर्धक प्रयोग हो |

5) मेथी की सुखडी : 
मेथीदाना हड्डियों व जोड़ों को मजबूत बनाता है | 
विधि :मेथी का आटा, पुराना गुड व घी समान भाग लें | आटा घी में सेंक के पुराना गुड व थोड़ी सोंठ मिलाकर सुखडी (बर्फी) बना लें | यह उत्तम वायुशामक योग हाथ-पैर, कमर व जोड़ों के दर्द, सायटिका तथा दुग्धपान करनेवाली माताओं व प्रौढ़ व्यक्तिओं के लिए विशेष लाभदायी है |

6) चन्द्रशूर की खीर : 
चन्द्रशुर (हालों) में प्रचंड मात्रा में लौह, फॅास्फोरस व कैल्शियम पाया जाता है | १२ वर्ष से ऊपर के बालकों को इसकी खीर बनाकर सुबह खली पेट ४० दिन तक खिलाने से कद बढ़ता है | माताओं को दूध बढ़ाने के लिए यह खीर खिलाने का परम्परागत रिवाज है | इससे कमर का दर्द, सायटिका व पुराने गठिया में भी फायदा होता है |

विशेष सूचना : पौष्टिक पदार्थों का सेवन सुबह खाली पेट अपनी पाचनशक्ति के अनुसार करने से पोषक तत्वों का अवशोषण ठीक से होता है |उनका सम्यक पाचन होने पर ही भोजन करना चाहिए |




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