क्या आप जानते है कि हमारे घर में भी कई तरह की बीमारियों के इलाज की दवाई मौजूद रहती है। रोजमर्रा के इस्तेमाल में हम इनका उपयोग करते है।ऐसे ही कुछ नुस्खाें के बारे में आज हम जानेगे।
कफ (बलगम)हमारे गले व फेफड़ों में जमने वाली एक श्लेष्मा होती है जो खांसी या खांसने के साथ बाहर आता है। यह फायदेमंद और नुकसानदायक दोनों है। हमारे दैनिक सांस लेने क्रिया के समय जो गन्दगी हमारे शरीर में जाती है। उसे यह अपने में चिपका लेता है जो सुबह के समय नहाते या मुंह धोते समय खांसने से बाहर निकल जाता है। इस तरह ये हमारा फायदा करती है अगर यह ज्यादा हो जाती है तो सांस लेने में तकलीफ पैदा कर देती है। छाती भारी लगती है। यहां पर यह नुकसान करती है।
विभिन्न औषधियों से उपचार
1. सरसों :
- सरसों के तेल में नमक मिलाकर मालिश करने से छाती में जमी हुई कफ (बलगम) की गांठें निकल जाती हैं।
- सत्यानाशी के पंचाग का पांच सौ ग्राम रस निकालकर उसको आग पर उबालना चाहिए। जब वह रबड़ी की तरह गाढ़ा हो जाए तब उसमें पुराना गुड़ 60 ग्राम और राल 20 ग्राम मिलाकर, खरलकर लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग की गोलियां बना लेनी चाहिए, एक गोली दिन में तीन बार गरम पानी के साथ देने से दमे में लाभ होता है।
- सरसों के पत्तों के रस का घनक्वाथ बनाकर इसमें बैन्जोइक एसिड समान भाग मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर रख लें।
- इसकी एक गोली दिन में तीन बार सेवन करने से श्वास रोगी को लाभ होता है।
2. घी : बालक की छाती पर गाय का घी धीरे-धीरे मसलने से जमा हुआ कफ (बलगम) निकल जाता है।
3. हल्दी :
- कफ (बलगम) जम जाने के कारण सांस लेने में छाती कांपती हो तो 1-2 बार कपड़े से छानकर गाय के मूत्र में थोड़ी-सी हल्दी मिलाकर पिलाना कफ (बलगम)-खांसी में फायदेमंद होता है।
- श्लेष्मा, रेशा गिरता हो तो आधा चम्मच हल्दी की फंकी गर्म दूध से सेवन करना चाहिए।
- कफ (बलगम) के कारण सीने में घबराहट पैदा होती है तो गर्म पानी के साथ नमक घोलकर पिलाना चाहिए।
- जुकाम, दमा में कफ (बलगम) गिरता हो तो नियमित तीन बार 2 ग्राम हल्दी की फंकी गर्म पानी से लेना चाहिए।
4. भांगरा :
- तिल्ली बढ़ी हुई हो, भूख न लग रही हो, लीवर ठीक से कार्य न कर रहा हो, कफ व खांसी भी हो और बुखार भी बना रहे। तब भांगरे का 4-6 मिलीलीटर रस 300 मिलीलीटर दूध में मिलाकर सुबह-शाम के समय सेवन करने से लाभ होता है।
- टायफाइड से पीड़ित रोगी को भांगरा के रस की 2-2 चम्मच मात्रा को दिन में 2-3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
- गोद के बच्चे या नवजात बच्चे को कफ (बलगम) अगर होता है तो 2 बूंदें भांगरे के रस में 8 बूंद शहद मिलाकर उंगली के द्वारा चटाने से कफ (बलगम) निकल जाता है।
5. रूद्राक्ष : बच्चे की छाती में अगर ज्यादा कफ (बलगम) जम गया हो और कफ निकलने की कोई आशा नज़र न आ रही हो तो ऐसे में रूद्राक्ष को घिसकर शहद में मिलाकर 5-5 मिनट के बाद चटाने से उल्टी द्वारा कफ (बलगम) निकल जाता है।
6. बहेड़ा : बहेड़ा की छाल का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहने से खांसी मिटती है और कफ (बलगम) आसानी से निकल जाता है और खांसी की गुदगुदी बन्द हो जाती है।
7. अदरक : अदरक को छीलकर मटर के बराबर उसका टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ (बलगम) आसानी से निकल आता है।
8. आंवला : आंवला सूखा और मुलहठी को अलग-अलग बारीक करके चूर्ण बना लें और मिलाकर रख लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण दिन में दो बार खाली पेट सुबह-शाम हफ्ते दो बार जरूर लें। इससे छाती में जमा हुआ सारा कफ (बलगम) बाहर आ जायेगा।
9. लौंग :
लगभग 3 ग्राम लौंग 100 मिलीलीटर पानी में उबालें। एक चौथाई रह जाने पर कम गर्म करके पी लें। इससे कफ निकल जाता है।
लौंग के तेल की तीन-चार बूंद बूरा या बताशे में गेरकर सुबह-शाम लें। इससे लाभ मिलता है।
10. अंगूर :
अंगूर खाने से फेफड़ों को शक्ति मिलती है। जुकाम, खांसी दूर होती है। कफ (बलगम) बाहर आ जाता है। अंगूर खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
लगभग 8-10 नग मुनक्का, 25 ग्राम मिश्री तथा 2 ग्राम कत्थे को पीसकर मुख में धारण करने से दूषित कफ विकारों में लाभ होता है।
11. पोदीना : कफ (बलगम) होने पर चौथाई कप पोदीने का रस इतने ही गर्म पानी में मिलाकर रोज तीन बार पीने से लाभ होता है।
12. केला : कफ के ज्यादा होने पर केला और शहतूत खाना लाभदायक होता है।
13. तुलसी : कफ (बलगम) होने पर 50 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों के रस में 5 चम्मच चीनी मिलाकर शर्बत बना लें। इसका एक छोटा चम्मच रोज पिलायें। इससे कफ (बलगम) निकल जायेगा। तुलसी के रस में बलगम को पतला करके निकालने का गुण है।
14. राई : खांसी में कफ गाढ़ा हो जाने पर बलगम आसानी से न निकलता हो तो, राई लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग और मिश्री मिलाकर सुबह-शाम देने से कफ पतला होकर बलगम आसानी से बाहर निकलने लगता है।
15. हरड़ : हरड़ को गाय के मूत्र में पकाकर, कूट-पीसकर खाने से कफ से होने वाले रोग खत्म हो जाते हैं। इसकी जगह अच्युताय हरिओम हिंगादी हरड चूर्ण लिया जा सकता है |
16. देवदारू : देवदारू और चित्रकमूल को पानी में पीसकर लेप करने से लाभ मिलता है।
17. मुलहठी :
खांसी होने पर यदि कफ सूखा होता है तो बार-बार खांसने पर बड़ी मुश्किल से निकल पाता है जब तक गले से कफ नहीं निकल जाता है, तब तक रोगी खांसता ही रहता है। लगभग 2 कप पानी में 5 ग्राम मुलहठी चूर्ण डालकर इतना उबालें कि पानी आधा कप बचे। इस पानी को आधा सुबह और आधा शाम को सोने से पहले पी लें। 3 से 4 दिन तक प्रयोग करने से कफ पतला और ढीला हो जाता है, जिससे बड़ी आसानी से निकल जाता है और खांसी, दमा के रोगी को बड़ी राहत मिलती है। यक्ष्मा (टी.बी.) की खांसी में मुलहठी चूसने से लाभ होता है।
2 ग्राम मुलहठी पाउडर, 2 ग्राम आंवला पाउडर, 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह व शाम को खाने से लाभ होता है।
18. ककोड़ा (खेखसा) : छाती में कफ का संचय होने पर ककोड़ी के फल का चूर्ण दिया जाता है। विसर्प, विद्रधि, खून की खराबी, आंखों का दर्द और खांसी में भी इसका चूर्ण खाने से फायदा होता है।
19. चुकन्दर : चुकन्दर बलगम को निकालकर श्वासनली को साफ रखता है।
20. कालीमिर्च :
30 कालीमिर्च पीसकर 2 कप पानी में उबालें। चौथाई पानी बचने पर छानकर 1 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाएं। इस प्रयोग से खांसी, कफ, गले में कफ लगा रहना ठीक हो जाता है।
नीम की 30 पत्ती, 5 कालीमिर्च पीसकर पिलायें। इससे खांसी, कफ (बलगम), गले में कफ (बलगम) लगा रहना ठीक हो जाता है।
10 कालीमिर्च, 15 तुलसी के पत्ते पीसकर शहद में मिलाकर नियमित 3 बार चाटने से गले में जमा बलगम बाहर निकलकर साफ हो जाता है।
21. शहद
- छाती पर शहद की मालिश करके गुनगुने पानी से धो लें। इससे कफ निकल जाता है।
- रात्रि को सोने के समय अजवायन का तेल छाती पर मालिश करने से जमा हुआ कफ निकल जाता है।
- पिसी हुई हल्दी, अजवायन और सौंठ को मिलाकर एक चुटकी लेकर शहद में मिलाकर सेवन करना चाहिए।
22. अडूसा (वासा) : गरम चाय में अडूसे का रस, शक्कर, शहद और दो चने के बराबर संचल डालकर सेवन करना चाहिए।
23. मेथी :
दानामेथी 10 ग्राम, कालीमिर्च 15 ग्राम, शक्कर (बूरा) 50 ग्राम, बादाम गिरी 100 ग्राम। इन सबको पीसकर मिला लें। रोजाना गर्म दूध से रात को सोते समय एक चम्मच फंकी लेने से खांसी, दमा में बलगम, जुकाम, साइनोसाइटिस और कब्ज सभी में लाभ होता है। इसका सेवन ठंडी प्रकृति वाले लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक है।
दाना मेथी 3 चम्मच को 2 कप पानी में डालकर दोपहर में भिगो दें। रात को इसी पानी में उबालकर एक कप पानी रहने पर छानकर स्वादानुसार शहद मिलाकर सोते समय कुछ सप्ताह तक नित्य पीते रहने से विभिन्न प्रकार की बीमारियों में लाभ मिलता है, जैसे- कफ, दमा, फेफड़े के रोग, टी.बी., शराब पीने के दुश्प्रभाव, यकृत सिकुड़ना, कुपोषण, गठिया, आमवात, जलोदर, तिल्ली, पीलिया, रक्ताल्पता (खून की कमी), कमर-दर्द, अनियमित माहवारी आदि में लाभ होता है।
24. अगस्ता : लाल अगस्ते की जड़ अथवा छाल का रस निकालकर शक्ति के अनुसार 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करें। यह औषधि यदि बालकों को देनी हो, तो केवल इसके पत्ते का पांच बूंद रस निकालकर शहद के साथ पिलायें। यदि दवा का असर अधिक हो, तो मिश्री को पानी में घोलकर पिलाएं। इससे कफ गलकर बाहर आ जाता है।
25. ऐन : ऐन की राख को शहद में मिलाकर खाना चाहिए। इससे कफ ढीला होकर निकल जाता है।
26. प्याज :
- छोटे बच्चों के कफ रोगों में प्याज के लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रस में 10 ग्राम शक्कर मिलाकर बच्चे को देने से लाभ होता है।
- छोटे बच्चों की माताओं को 1-2 प्याज को पीसकर पानी में उबालकर देने से कफ रोगों में लाभ होता है। इससे कफ पतला होकर बाहर निकल जाता है, घबराहट कम हो जाती है और पित्त भी बाहर निकल जाता है।
27. अमलतास : अमलतास के गूदे में गुड़ मिलाकर और सुपारी के बराबर गोलियां बनाकर गरम पानी के साथ देना चाहिए।
28. खजूर : नियमित थोड़ा खजूर खाना खाने के बाद 4 या 5 घूंट गर्म पानी से खाने से कफ पतला होकर खंखार या हल्की खांसी के रूप में बाहर निकल जाता है। फेफडे़ साफ होते हैं। सर्दी, जुखाम, खांसी और दमा मिटता है तथा रक्त की शुद्धि होती है।
29. अमरूद : एक अमरूद को आग में भूनकर खाने से लाभ होता है।
30. ब्राह्मी : बालकों के सांस व कफ में ब्राह्मी का थोड़ा-सा गर्म छाती पर लेप करने से लाभ होता है।
31. लालमिर्च :
- कमर और जांघों के दर्द में मिर्ची के तेल की मालिश करने से लाभ मिलता है।
- डिप्थीरिया और गले के दर्द में मिर्ची के तेल से लेप करने से रोग ठीक होता है।
- मिर्ची के तेल को खाज, खुजली, जोड़ों की सूजन, कुत्ते और बर्र के काटने की जगह पर लगाने से आराम मिलता है।
- मिर्ची के तेल की मालिश से आमवात (गठिया) में भी लाभ होता है।
- बुखार में अगर बच्चे को हवा लगकर पैर में लकवे की आशंका हो तो मिर्च के बारीक पाउडर में तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।
32. लहसुन : लहसुन को खाने से श्वासनलियों में इकट्ठा कफ आराम से बाहर निकल जाता है। इससे टी.बी. के रोग में भी फायदा होता है।
33. इलायची : इलायची के दाने, कालानमक और घी तथा शहद को एकत्रकर चाटने से कफ रोग मिटता है।
34. बरगद : बरगद की कोमल शाखाओं को ठंडे पानी या बर्फ के साथ लगभग 10-20 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से कफ (बलगम) में फायदा होता है।
35. अरीठे : अरीठे का पानी पिलाना चाहिए और इसका फेना पेट पर मलना चाहिए। इससे कफ निकल जाता है।
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