रक्तषोधक का काम करती है रसभरी / Blood purifier Rasbhari

रसभरी

रसभरी खटटे-मीठे गोल फल हैं जिसके ऊपर एक पतला सा आवरण होता है जिसका आकार घंटी जैसा होता है, रसभरी के फल खाने में स्वादिष्ट लगते हैं । रसभरी एक छोटे से पौधे में उगता है जिसे उसके दूसरे नाम चिरपोटी से भी जाना जाता है । इस पौधे की विता यह है कि ये हर जगह अपने आप ही ऊग आता है । रसभरी औषधीय गुणों से भरपूर होती है ।



रसभरी में एंटीआॅक्सीडेंट मौजूद होता है । काली रसभरी खाने से आंतों के कैंसर से बचाव में मदद मिलती है । मनुष्य के व.जन घटाने के लिए रसभरी का सेवन बहुत कारगर सिद्ध हुआ है । रसभरी  शरीर  में वसा को कम करने वाले हार्मोन को सक्रिय कर कैलोरी को कम करती है । रसभरी दिल की सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है । रसभरी के पांचों अंग-फल, फूल,पत्ती,तना एवं मूल) सभी में औषधीय गुण मौजूद हैं । रसभरी उदर रोगों (यकृत) के लिए लाभकारी है ।



इस पौधे की पत्तियों का काढ़ा पीने से पाचन अच्छा होता है एवं भूख भी बढ़ती है । रसभरी लीवर को उत्तेजित कर पित्त निकालता है । इसकी पत्तियों का काढ़ा शरीर के भीतर की सूजन को दूर करता है । खांसी, हिचकी,श्वास के रोगों में इसके फल का चूर्ण बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ है ।

रसभरी का अर्क पेट के लिए लाभकारी है । चमड़ी के सफेद दाग पर पत्तियों का लेप लाभकारी परिणाम देता है । रसभरी में सेपोनिन रसायन अधिक होने से इसका उपयोग कब्ज दूर करने और फोड़े फुन्सियों को ठीक करने के लिए होता है । इसे रक्तषोधक के काम में भी उपयोग में लिया जाता है ।






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