एक बार एक व्यक्ति शहर में रास्ते पर चलते हुए जा रहा था। अचानक ही वह एक सर्कस के बाहर रुक गया और वहां रस्सी से बंधे हुए एक हाथी को देकने लगा और सोचने लगा । वह सोच रहा था कि जो हाथी जाली, मोटे चैन या कड़ी को भी तोड़ देने की शक्ति रखता है वह एक साधारण रस्सी से बंधे होने पर भी कुछ नहीं कर रहा है ।
उस व्यक्ति नें तभी देखा कि हाथी के पास में एक ट्रेनर खड़ा था । यह देखकर उस व्यक्ति ने ट्रेनर से पुछा ! यह हाथी अपनी जगह से इधर उधर क्यों नहीं भागता या रस्सी क्यों नहीं तोड़ता है ? उसने जवाब दिया ! जब यह हाथी छोटा था तब भी हम इसी रस्सी से इसे बांधते थे । जब यह हाथी छोटा था तब यह बार बार इस रस्सी को तोड़ने की कोशिश करता था पर कभी तोड़ नहीं पाया और बार बार कोशिश करने के कारण हाथी को यह विश्वास हो गया कि रस्सी को तोड़ना असंभव है । जबकि आज वह रस्सी को तोड़ने की ताकत रखता फिर भी वह या सोच कर कोशिश भी नहीं कर रहा है कि पूरा जीवन में इस रस्सी को तोड़ नहीं पाया तो अब क्या तोड़ पाउँगा ।जीवन में बार बार असफल होने से ही सफलता का रास्ता दिखता है ।
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