कपालभाती प्राणायाम / Kapalbhati Pranayamsharmaraviranjan@gmail.com
मस्तिष्क के अग्र भाग को कपाल कहते हैं और भाती का अर्थ ज्योति होता है। कपालभाती प्राणायाम को हठयोग के षट्कर्म क्रियाओं के अंतर्गत लिया गया है। ये क्रियाएं हैं:-1.त्राटक 2.नेती. 3.कपालभाती 4.धौती 5.बस्ती 6.नौली। आसनों में सूर्य नमस्कार, प्राणायामों में कपालभाती और ध्यान में साक्षी ध्यान का महत्वपूर्ण स्थान है।कपालभाती प्राणायाम को हठयोग में शामिल किया गया है। प्राणायामों में यह सबसे कारगर प्राणायाम माना जाता है। यह तेजी से की जाने वाली रेचक प्रक्रिया है। कपालभाती और भस्त्रिका प्राणायाम में अधिक अंतर नहीं है। भस्त्रिका में श्वांस लेना और छोड़ना तेजी से जारी रहता है जबकि कपालभाती में सिर्फ श्वास को छोड़ने पर ही जोर रहता है।
आप सामान्य रूप से सांस ले और सांस छोड़ने पर ज्यादा ध्यान दे. और सांस छोड़ते समय आप अपने पेट की आतडीयो को सिकोड़े.सभी योग अभ्यास सिखाने वाले विश्वास दिलाते है की गहरी सांसे और मेडिटेशन (Meditation) तकनीक यह सिखने वालो की मध्य की क्रिया है. कपालभाती प्राणायाम / Kapalbhati Pranayama पुरे विश्व के योगशिबिरो में सिखाया जाता है.कपालभाती प्राणायाम / Kapalbhati Pranayam एक शारीरिक और सांस लेने की प्रक्रिया है जो दिमाग के लिए फायदेमंद है. इससे शरीर के सभी नकारात्मक तत्व निकल जाते है, और शरीर और मन सकारात्मकता से भर जाता है. योगा / Yoga से पूरी दिनचर्या अच्छे से गुजरती है. सिर्फ कपालभाती ही ऐसा प्राणायाम / Pranayam है जो शरीर और मन दोनों को शुद्ध कर सकता है. रोग नाशक औजार के रूप में इसके अदभूत नतीजे है. इसे दूनिया भर में प्रसिध्द करने के लिए कुछ प्रमुख गुरूओ ने बहूत परिश्रम किया है |
कपालभाती प्राणायाम के लाभ / Benefits Of Kapalbhati – prana yoga
कुछ लोग इसे शरीर को आराम देने के लिए करते है. तो कुछ लोग इसके अन्य लाभ के लिए इसे करते है. कुछ लोग कपालभाती / Kapalbhati वजन कम करने के लिए करते है क्योंकि इसे करते समय श्वसन प्रणाली और पेट की अतडिया हरकत में आती है. जिससे पेट की चर्बि कम होती है.
कपालभाती / Kapalbhati से श्वसन प्रणाली शुद्ध होती है. किसी भी तरह की एलर्जी (Allergy) व संक्रमण दूर होता है. क्योंकि कपालभाती में जोर से सांस बाहर छोड़ते है. जिससे फेफड़ो के संक्रमण व एलर्जिक तत्व बाहर हो जाते है.इस प्राणायाम / Pranayam को करने से डायाफ्राम लचीला बनता है. इस प्राणायाम से डायाफ्राम भी ताकतवर और लचीला होता है. जिससे हर्निया होने की संभावना कम हो जाती है.कपालभाती खून का प्रवाह शरीर के निचले अंगो में बढ़ाता है. जिससे शरीर के निचले अंग सही तरीके से काम करते है. इस प्राणायाम से फेफड़ों की कार्य करने की क्षमता बढती है. जिस कारण श्वसन प्रणाली अच्छी तरह से काम करती है. जिससे शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन (Oxygen) मिलती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने से कार्यक्षमता भी बढती है. इस प्राणायाम से एकाग्रता बढ़ती है. और कुडलीयाँ जागृत होती है.
कपालभाती / Kapalbhati से श्वसन प्रणाली शुद्ध होती है. किसी भी तरह की एलर्जी (Allergy) व संक्रमण दूर होता है. क्योंकि कपालभाती में जोर से सांस बाहर छोड़ते है. जिससे फेफड़ो के संक्रमण व एलर्जिक तत्व बाहर हो जाते है.