पुदीने के फायदे सभी यह जानते हैं कि पुदीने से चटनी बनाई जाती है, या यह जलजीरा बनाने में इस्तेमाल होता है लेकिन यहां हम आपको बता दें के पुदीने में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं, और इनसे बड़ी-बड़ी तकलीफों का इलाज होता है. और पुदीना बहुत सारी एंटीबायोटिक दवाओं में भी काम में लिया जाता है अगर आप जानना चाहते हैं के पुदीने के क्या क्या फायदे हैं और क्या इसके औषधीय गुण हैं इस पोस्ट को आप पूरा अंत तक पढ़ते रहे और जानें पुदीने के औषधीय गुणों के बारे में.
पुदीने के फायदे और पुदीने के औषधीय गुण
पुदीना गुणों की खान है साधारण सा दिखने वाला यह पौधा अपने आप में बहुत शक्तिशाली और चमत्कारी प्रभाव रखता है गर्मियों में पुदीने की चटनी खाना भी सेहत के लिए बहुत लाभकारी है. पुदीना औषधीय गुणों के साथ-साथ आपके चेहरे के सौंदर्य निखार के लिए भी बहुत लाभदायक है, इसके अलावा पुदीना एक बहुत अच्छी एंटीबायोटिक दवा भी है. इस पोस्ट में हम आज हम लोग पुदीने से होने वाले फायदे के बारे में ही बात करेंगे. अपना वज़न कैसे बढ़ाएं यहाँ पढ़ें
पुदीने के फायदे:- Benefits of mint
पुदीने में फाइबर मौजूद रहते हैं और इसमें मौजूद फाइबर आपके कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद करता है, और इसमें मौजूद मैग्नीशियम आपकी हड्डियों को ताकत देता है और इन्हें मजबूत बनाता है. बढे व्यक्ति को उल्टी होने पर 2 चम्मच पुदीना हर 2 घंटे में उस रोगी को पिलाएं इससे जी मचलना या उलटी जैसी बीमारी में बहुत जल्दी आराम मिल जाता है.
अगर आपको पेट संबंधी और अन्य बीमारियां हैं तो पुदीने की पत्तियों को ताजा नींबू का रस और इस के बराबर मात्रा में शहद के साथ मिलाकर लेने से पेट की लगभग सभी बीमारियों में जल्दी आराम मिल जाता है.
पुदीने के फायदे सर्दी जुकाम में:- सर्दी जुकाम या पुराना नजला हो इसके लिए आप थोड़ा पुदीने का रस लें और इसमें काली मिर्च और थोड़ा सा काला नमक मिला लें और जिस तरह हम लोग चाय बनाते हैं ठीक वैसे ही इस को चाय की तरह उबालकर पीने से सर्दी जुकाम और खांसी व बुखार में बहुत जल्द राहत मिल जाती है.
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अगर किसी को बहुत ज्यादा हिचकी आ रही हैं तो उसके लिए ताज़ा पुदीने की कुछ पत्तियां चबाने से यह उनका रोशनी छोड़कर इसकी वाले मरीज को पिलाने से तुरंत हिचकियां बंद हो जाती हैं.
महावारी सही और समय पर ना आने पर आप पुदीने की सूखी पत्तियों को चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को दिन में दो बार शहद के साथ मिलाकर नियमित रुप से कुछ दिल देने से महावारी सही से आती है और समय पर आना शुरू हो जाती है.
पुदीना का उपयोग – पुदीना के लाभ – पुदीने के फायदे Use of Mint
अगर किसी को चोट लग जाए या फिर खरोंच आ जाए तो उस स्थान पर कुछ पुदीने की ताजा पत्तियां लेकर उन्हें पीसकर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है. और अगर आपको किसी भी तरह की दाद, खाज, खुजली है या और अन्य प्रकार का कोई और चर्म रोग है तो आप ताजा पुदीने की पत्तियों को लेकर अच्छी तरह पीस लें और इस लेप को अपनी प्रभावित त्वचा में लगाएं इससे बहुत जल्दी आराम मिलता है.मुंह की बदबू में पुदीने के फायदे:- अगर आपके मुंह से बदबू आती है तो इसके लिए आप बाजार से पुदीना की पत्तियां ले आएं और इसको छांव में अच्छी तरह से सुखा लें, और इसके बाद इन सूखी पत्तियों का अच्छी तरह से चूर्ण बना लें और आप इससे मंजन की तरह इस्तेमाल करें ऐसा करने से आपके मसूड़े स्वस्थ होंगे और आपके मुंह से दुर्गंध आना बिल्कुल बंद हो जाएगी. इस प्रयोग को आप कम से कम 2 सप्ताह या ज्यादा से ज्यादा 1 महीने तक कर सकते हैं.
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गले के रोगों में पुदीने के रस को नमक के पानी के साथ मिलाकर कुल्ला करने से आप की आवाज भी साफ होती है और यदि गले में भारीपन या गला बैठने की शिकायत हो तो वह भी इससे दूर हो जाती है.
पुदीने के फायदे तेज़ गर्मी में:- गर्मी की वजह से घबराहट होने पर या जी मिचलाने पर एक चम्मच सूखे पुदीने की पत्तियां और आधा छोटा चम्मच इलायची का चूर्ण एक गिलास पानी में उबालकर, ठंडा होने के बाद पीने से बहुत जल्दी आराम मिलता है और साथ ही हैजा होने की शिकायत है तो प्याज का रस और नींबू का रस पुदीना के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से बहुत जल्द आराम मिल जाता है.
सौंदर्य के लिए पुदीने का उपयोग कैसे करें
तेलीय त्वचा के लिए पुदीने का फेशियल:- अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो आपके लिए पुदीने से बना हुआ फेशियल काफी अच्छा रहेगा इसके लिए आप दो बड़े चम्मच अच्छी तरह से पिसी हुई पुदीने की पत्तियां दो चम्मच दही और एक बड़ा चम्मच ओटमील इन सबको मिलाकर एक घोड़ा ले बना लें और इस लेप को अपने चेहरे पर 15 मिनट तक लगा रहने दें इसके बाद इसे आपके चेहरे को ठंडे पानी से धो लें सप्ताह में कम से कम दो बार यह प्रयोग करने से आपकी तेलीय त्वचा सही हो जाती है और साथ ही आपके चेहरे से कील मुंहासे और झाइयां दूर होती हैं.
पुदीने के रस को मुल्तानी मिट्टी के साथ मिलाकर अपने चेहरे पर लेप करने से आपकी ऑयली त्वचा सही हो जाती है और चेहरे से झुर्रियां कम हो जाती है इसके अलावा इसको लगाने से आपके चेहरे की चमक बढ़ जाती है और अगर आप शराब में पुदीने की पत्तियों को पीसकर में चेहरे पर लगाएंगे तो इससे दाग धब्बे और झाइयां भी बिल्कुल साफ हो जाती हैं.
Pudina: Medicinal Uses, Remedies, Research, Side Effects
Pudina – Mentha piperata is a plant which is used for the treatment of indigestion, pain in joints, diarrhea, cough, dysmenorrhea and fever.
Latin name- Mentha piperata Linn. Mentha spicata
Family- Labiate
Names in different languages:
All the Indian languages like Hindi, Bengali, Kannada, Gujarathi, Malayalam, Tamil, Telugu etc use the name Pudina for the plant. In English the plant is known as Spearmint or Garden mint.
Arabic – Phujanaj
Bengali name – Pudina
Burmese name – Bhudina
Canada – Chetni-maruga
Hindi – Podina
Malayalam – Putina
Marathi name – Pudina
Synonyms:
Rochani- Improves the taste perception
Pahari- Grow in the cool climate of hills
Pudina, Putiha, Pudina, Podinaka, Phudino, Podina
Morphology:
Mentha piperata is a perennial herb growing in the hilly regions or in the cold climatic regions of India. The plant has a strong odor and grows to a height of 1-2 foot. The leaves are slimy, dark and have a strong odor. The flowers are purple in color.Mentha spicata is also used as a synonym for Mentha piperata.
Pudina medicinal properties:
Rasa (Taste) – Katu (Pungent)
Guna (Qualities) – Laghu (Light for digestion), Ruksha (Dry in nature), Teekshna (Strong)
Vipaka – – Katu (Undergoes Pungent taste after digestion)
Veerya (Potency) – Ushna (Hot)
Karma (Actions) – Kaphavata shamaka (reduces vitiated kapha and vata dosha)
Part used- Leaf, oil extract
Dosage-
Leaf juice- 5 to 10 ml
Cold infusion- 25 to 30 ml
Oil- 1 to 3 drops
Chemical constituents of Mentha piperata:
The major constituents of the essential oil are: menthol, menthone, pule- gone, menthofuran, 1,8-cineole, menthyl acetate, isomenthone. The leaves contain flavonoid glycosides, eriocitrin, luteolin 7-O-rutinoside, hesperi- din, isorhoifolin, diosmin, eriodictyol 7-O-glucoside and narirutin, besides rosmarinic acid, azulenes, cholene, carotenes.
रोचनी वह्रिजननी वक्त्रजाड्यनिशूदनी |
कफवातहरी बल्या चर्द्यर्ह्रोचकवारिणी॥ ( आ. वि)
Medicinal uses of mint leaves:
Pudina is used in many cuisines all over the world, to enhance the taste of the dish.
The leaves of Mentha piperata is used as carmative and helps in digestion of the food.
1-3 drops of oil obtained after the processing from the plant is used with hot water to treat indigestion and relive colic pain.
The paste of the leaf of Mentha piperata is applied over the joints to relive pain and localized inflammation.
Cold infusion of the plant in a dose of 30-40 ml is used to relieve dysmenorrhea and fever.
The fresh juice of the leaf of Pudina, in a dose of 5 to 10 ml is given with honey to relieve cough and sore throat.
The paste of the leaf is applied over the skin to relieve itching sensation and wound associated with pus.
The distillate of the leaf is extracted and used in a dose of 1 to 3 drops with hot water to treat indigestion and bloating of abdomen.
Gargling is done by adding fresh juice of the leaf of Pudina with water to relieve bad odor from the mouth and treat inflammation of the gums.
The paste of the leaf of Pudina is given with first morsel of food to treat intestinal worms.
Adverse effect:
Although it is used in many consumer products, mint may cause allergic reactions in some people, inducing symptoms such as abdominal cramps, diarrhea, headaches, heartburn, tingling or numbing around the mouth, anaphylaxis or contact dermatitis.
Formulations containing Putiha:
Antharth oil and liniment: It is a proprietary medicine useful to relive joint pain, reduce morning sickness and localized inflammation after external application.
Appirich syrup: Appirich Syrup is a proprietary Ayurvedic medicine useful as an appetizer in children. It improves taste in food and makes the child to feel hunger and eat well.
Calcurosin syrup: It is a proprietary Ayurvedic medicine useful to treat urinary bladder calculi and kidney stones.
Capsin cream: It is a cream used for external application in treating joint pain, muscle spasm and arthritis.
Kofsil syrup: Kofsil Syrup is a non-sedative herbal cough syrup. It is used in the treatment of bronchial asthma, bronchitis, bronchospasm, allergic asthma and smoker’s cough.
Acidowin tablet: It is a proprietary Ayurvedic medicine useful to treat hyperacidity, flatulence, reflux oesophagitis and motion sickness.
Research articles related to Mentha piperata:
Anti-bacterial action: The antibacterial activity of peppermint oil and different extracts of Mentha piperita against some Gram-positive and Gram-negative bacterial strains was evaluated in the present research work by agar well diffusion method. The oil and extracts also exhibited significant antioxidant activity and the oil showed about half potency when compared to the standard BHT.
Anti- diabetic action: The present study was undertaken with an objective to observe effectiveness of oral administration of Peppermint juice in alloxan induced diabetic wistar rats. The present experimental study provides further evidence that oral administration of Peppermint juice for 21 days produced a significant decrease (p <0.0010) in the blood glucose level of alloxan induced diabetic rats.
Wound healing action: The objective of this study was to evaluate the effects of topical Mentha piperita and Cymbopogan citratus oil on wound healing. Diabetic induced infected wound treatment with topical Mentha piperita ointment treatment and their another essential ointment in Cymbopogan citratus wound contraction studies a circular piece08 mm2 in area 20th days compared wound healing study on the wound contraction studies a circular piece 08mm2 in area 18th days highly effective in Mentha piperita ointment.
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