आम को फलों का राजा कहा जाता है। ये सभी फलों में उत्तम है। इसका सेवन जहाँ स्वाद के लिहाज से बहुत बेहतर है, वहीँ ये गुणों में भी लाजवाब है। कैंसर हृदय मधुमेह जैसे रोगों में ये बहुत फायदेमंद है। आम का फल तथा इसकी गुठली आदि भी स्वास्थ्य रक्षा में बहुत उपयोगी कही गई है। आम वृक्ष के बारे में कुछ विशिष्ट जानकारियां है, जो आपके लिए अत्यंत लाभदायक है ,वे इस प्रकार है।
benefit & nutritional value
1. आयुर्वेदानुसार आम का कच्चा फल खट्टा ,रुचिकारक और वातपित्त उत्पन्न करने वाला होता है। यह गले से सम्बंधित समस्याओं को दूर करने वाला ,मूत्र रोगो और योनि व्याधियों में लाभकारी तथा आँतों को सिकोड़ने वाला होता है। अतिसार (पानी की तरह पतले दस्त )में भी लाभदायक रहता है।
2. कच्चे आम की अमचूर खट्टी, कसैली, स्वादिष्ट, कफ -वातनासक, शरीर में चर्बी को बढ़ाने वाली होती है। कच्चा आम खट्टा होता है, किन्तु पकने पर मीठा, स्निग्ध, वीर्यवर्धक, भारी कान्तिवर्दक, वात विनाशक, प्रमेहनाशक, शीतल तथा रुधिर, श्लेष्मा के रोगो और व्रण को हरने वाला हो जाता है।
3. आम की गुठली कुछ कसैली मीठी होती है, यह अतिसार (उल्टियों में) लाभकारी तथा हृदय के आसपास के दर्द को दूर करने वाली होती है। आम की गुठली का तेल भी निकाला जाता है। यह तेल कसैला, स्वादिष्ट, कड़वा और रूखा होता है। कफ और वात का शोधन करता है, मुख रोगों में भी लाभकारी होता है।
4. आम का बौर वातकारक, शीतल, अग्निदीपक लेकिन मलरोधक एवं रुचिवर्धक होता है। यह कफ, पित्त, प्रमेह को ठीक करता है। आम के पते वात-पित्त- कफ को हरने वाले, मलरोधक, रुचिकारक एवं कसैले होते है। आम की जड़ कसैली,शीतल,रुचिदायक, सुगन्धित तथा कफ-वात को नष्ट करने वाले होते है।
5. आम विटामिनों से भरपूर होता है। पके हुए आम में जल 86.1 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत, प्रोटीन 0.6 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 11.8 प्रतिशत, लोहा (100 ग्राम गूदे में ) 0.31 मि. ली, कैल्शियम 0.01 प्रतिशत, फास्फोरस 0.02 प्रतिशत, विटामिन-ए और विटामिन- सी अधिक मात्रा में, जबकि विटामिन-बी साधारण मात्रा में होता है।
आम के औषधीय महत्व।
प्रमेह एवं पेचिश में-
आम के नरम पतों को सुखाकर भी रखा जा सकता है। प्रमेह, पेचिश की स्थिति में सुबह-शाम पीसकर फाँकने से लाभ मिलता है।मधुमेह में-
आम के कोमल पतों का काढ़ा बनाकर सुबह- शाम पीने से मधुमेह में लाभ पहुँचता है। जिन व्यक्तियों को प्रथम बार मधुमेह ज्ञात हो, उन्हें इस प्रयोग को परहेज रखते हुए अवश्य करना चाहिए।स्ट्रोक से बचाता है
कई शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है कि आम गर्मियों में स्ट्रोक के खतरे से बचाता है। आयुर्वेद में भी इसे धूप के प्रभाव से बचाव के लिए मददगार फल बताया है।कैंसर से बचाता है
कई शोधों में प्रमाणित हुआ है कि आम में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स कोलोन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, ल्यूकेमिया और प्रोस्टेट कैंसर से बचाव में मददगार हैं। इसमें क्यूर्सेटिन, एस्ट्रागालिन, फिसेटिन जैसे कई तत्व हैं जो कैंसर से बचाव करते हैं।बेहतर होती है सेक्स लाइफ
आम विटामिन ई का अच्छा स्रोत है और यह कामेच्छा को बढ़ाता है।दन्त रोगो में
आम के पतों को सुखाकर, जलाने पर जो राख बनती है, उसमे अल्प मात्रा में नमक मिलाकर दांतो में मलने से दांतो में किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता है, दांत मजबूत और चमकदार बनते है। इस प्रयोग से दांतो में कीड़े नहीं लगते।दस्त, अतिसार आदि में
आम के बौर को सुखाकर बाद में इसे शक्कर के साथ खाने से दस्त, अतिसार,पित विकार, मासिकधर्म में अनियमितता और स्त्रियों के योनि रोगों का नाश आसानी से होता है।प्रतिरोधी क्षमता
आम में विटामिन सी और विटामिन ए के अलावा 25 प्रकार के कैरोटेनॉयड्स होते हैं जो शरीर में प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं।बालों को काला करने में
कच्चा आम चटनी,अचार, मुरब्बे में तो काम आता ही है तथा इसमे सफ़ेद बालों को काला करने का गुण होता है। कच्चे आम, तिल का तेल और काले भांगरा का रस एक लोहे के पात्र में डाल दे, इस पात्र को जमीन के अंदर तीन-चार महीने के लिए गाड़ दें। बाद में इसे बालों में लगायें, इसके प्रयोग से सफ़ेद बाल काले हो जाते है अर्थात जड़ से काले बाल उत्पन होने लगते है।कोलेस्ट्रॉल घटाता है
आम में फाइबर और विटामिन सी अच्छी मात्रा में होते हैं जो लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एमलीएल) यानी बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में मदद करते हैं।त्वचा के लिए फायदेमंद
आम खाएं या पैक के रूप में लगाएं, यह त्वचा के छिद्र खोलता है जिससे मुंहासे कम होते हैं।लू लगने पर
लू लगने पर कच्ची अमियाँ(केरी) को भूनकर एवं भली प्रकार से मसलकर रस निकाल कर उसमे पर्याप्त मात्रा में मिश्री, सुखा पोदीना, भुना जीरा, सादा नमक यथावश्यक स्वाद अनुसार मिलाकर पीने से लू का असर मिटता है।खुनी बवासीर में
खुनी बवासीर होने पर आम वृक्ष की कोमल कोपलों को पानी में पीसकर उसमे थोड़ी सी चीनी या खांड मिलाकर पिए। यहे प्रयोग नित्य प्रातः-सांयकाल दो बार उपलब्ध होने तक करें।उलटी दस्त में।
उलटी और दस्त अगर बार बार आये, रुके नहीं तब यह उपचार परम उपयोगी रहता है।आम के 10 ताज़े पत्ते, 2-4 काली मिर्च को पीसकर गोलियां बना कर सुखा लें। उलटी दस्त की स्थिति में इनका सेवन करें। तुरंत लाभ होगा।
सुजाक में।
सुजाक में आम वृक्ष की छाल का रस ५० ग्राम तथा चुने का निथरा पानी ४० ग्राम दोनों को मिलकर प्रातः सायं इसकी आधी आधी मात्रा लेते रहें। ऊपर से ताज़ा दूध पियें, प्रयोग कुछ दिन तक करने से लाभ दिखाई देता है।आम की ताज़ा छाल 25 ग्राम लेकर इसे मोटा मोटा कूट लें, और 250 मिली जल में रात्रि को भिगो कर रख दें। प्रातः इसे मसल कर छान लें और पी जाएँ। यह प्रयोग 8-10 दिन तक करने से सुजाक के साथ साथ प्रमेह की समस्या में भी लाभ मिलता है।
कर्ण पीड़ा।
कान के दर्द में आम के पत्तों के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है, ध्यान रहें इस प्रयोग में शुद्ध रस का ही प्रयोग करें।पेट के कीड़ों को मारने में।
पेट के कीड़े होने पर कच्चे आम के फल के छिलकों का काढ़ा पीने से कीड़े मरकर बाहर निकल जाते हैं। यह प्रयोग विशेष रूप से पेट में उत्पन्न होने वाले गिण्डोलों (ascaris) पर हितकर है।दाद के उपचार में।
आम का फल तोड़ते समय इसकी बीट में से जो चिपचिपा पदार्थ निकलता है, उसको दाद पर लगाने से दाद मिट जाता है। प्रयोग २-३ बार करें।नकसीर फूटने पर।
नकसीर होने पर आम की गुठली की गिरी को पीसकर सूंघने से नकसीर में फायदा हो जाता है।हिचकी दूर करने में।
आम के पत्तों को सुखाकर चिलम में रख कर पीने से हिचकी दूर होती है।
रक्तप्रदर में।
रक्तप्रदर में आम की गुठली की गिरी का २ ग्राम चूर्ण सुबह शाम खाते रहने से बहुत लाभ होता है।जल जाने पर।
आग से जल जाने पर आम की गुठली की गिरी को पानी में भिगोकर पीसकर आग से जली हुई जगह पर लगाने से ठंडक पहुंचकर राहत मिलती है।नेत्र पीड़ा में।
नेत्र पीड़ा में कच्ची अमियां को पीसकर आँख पर बाँधने से आँखों का दर्द मिटता है। जितने समय तक यह लगा रहे, उतने समय तक आँख बंद रखें।Read more about benefis of fruits & vegetables click on
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