सच बोलने की हिम्मत व ताकत Dared to speak truth/ Motivational Stories


सच बोलने की हिम्मत व ताकत Dared to speak truthबचपन से सुनते आ रहे है  कि सच बोलना चाहिए। सच बोलने से सभी काम हल हो जाते है और झूठ हमेशा ही पकड़ा जाता है। इसी पर स्वामी विवेकानंद जी की बाल्यकाल की एक रोचक कहानी है। कहानी तक की है जब वह स्कुल में थे।
स्वामी विवेकानंद शुरू से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित  रहते थे. जब वो साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो उन्हें सुनते. एक दिन लंच टाईम के दौरान वो कक्षा में कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे , सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आये और पढ़ाना शुरू कर दिया.
मास्टर जी ने अभी पढ़ना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी.
” कौन बात कर रहा है ?” उन्होंने तेज आवाज़ में पूछा . सभी ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों किई तरफ इशारा कर दिया.
मास्टर जी  तुरंत क्रोधित हो गए, उन्होंने तुरंत उन छात्रों को बुलाया और  पाठ से संबधित एक प्रश्न पूछने लगे. जब कोई भी उत्तर न दे सका ,तब अंत में मास्टर जी ने  स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया . पर स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों , उन्होंने आसानी से उत्तर दे दिया.
यह देख उन्हें यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बात-चीत में लगे हुए थे. फिर क्या था उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी . सभी छात्र एक -एक कर बेच पर खड़े होने लगे, स्वामी जे ने भी यही किया.
तब मास्टर जी बोले, ” नरेन्द्र  तुम बैठ जाओ.”
” नहीं सर , मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वो मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था.”,स्वामी जी ने आग्रह किया

Post a Comment

Previous Post Next Post