डंडे का कसूर – शेख चिल्ली की कहानियां/ Stories of Sheikh Chilli

http://healtyertips.blogspot.com/
By -
0


 
एक दिन शेख चिल्ली नौकरी की तलाश मे भटकते-भटकते शहर आ पहूंचा, भाग्य वश शेख चिल्ली को शहर में काम मिल गया। एक दिन शेख चिल्लीको मालिक ने  मनी आर्डर फार्म और कुछ रूपये दिये और कहा कि इन्हें मनी आर्डर कर आओ।
मालिक की बात सुन शेख  मन ही-मन सोचने लगे कि तार से रुपये किस तरह जायेंगे ? उसने डाकघर में पहूंचकर तार बाबु से पुछा तो तार बाबु ने कहा क्यों नहीं चले जाते है।
एक दिन शेख जी को वेतन मिला तो उन्हें याद आया कि उनकी बेगम ने चलते समय कहा था कि चमेली का तेल भेज देना।
उन्होंने उसी समय चमेली के तेल की शीशी खरीदी ओर तार घर पहूंच कर कहा- इसे तार से भेज दीजिए। जल्दी पहूंच जायेगी।  तार बाबु समझ गया कि यह कोई बेवकुफ आदमी है।
उसने उससे तेल की शीशी लेकर रख ली और दिन शेख जी वहां से चले आये। कुछ समय बाद घर से चिठ्ठी आई कि तेल की शीशी अभी तक नहीं आयी। क्या कारण है ?

क्योंजी जल्दी के कारण तो मैने शीशी तार से भेजी थी और वह अब तक मेरे यहां नही पहूंची ?
शेख  ने थोडा झल्ला कर तारबाबु से पुछा बात यह हैं कि जब तुम्हारी शीशी तार से जा रही थी, तब किसी ने उधर से डंडा तार से भेज दिया था। तुम्हारी शीशी उस डंडे से टकराकर टुट गई।
अब तुम ही बताओ मै क्या कर सकता हू? बाबू ने उत्तर दिया हां भाई इसमे तुम्हारा क्या दोष है ? यदि मुझे वह डंडा भेजने वाला मिल जाये तो उसका सिर फोड दूं। यह कहकर वहां से शेख जी चले आये।
 


Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)
3/related/default