पेट यानि आमाशय की खराब या पाचनतंत्र में गड़बड़ी उत्पन्न होने के कारण भूख लगनी कम हो जाती है। ऐसे में यदि कुछ दिनों तक इस बात पर ध्यान न दिया जाए तो भूख लगनी बिल्कुल ही बंद हो जाती है। इस रोग में रोगी को भोजन करने का मन नहीं करता चाहे कितना भी अच्छा व स्वादिष्ट भोजन क्यों न हो। इस तरह भूख न लगने को अरूचि या भूख न लगना कहते हैं।
अरूचि के कारण
जब किसी व्यक्ति को कब्ज की शिकायत होती है और लम्बे समय तक कब्ज बनी रहती है तो आंतों में जमा मल सूख जाता है जिससे पाचनतंत्र में गड़बड़ी उत्पन्न होती है और पाचनतंत्र खराब होने से भूख लगनी बंद हो जाती है। ज्यादा चिंता, डर, गुस्सा और घबराहट के कारण भी भूख समाप्त हो जाती है। कुछ समय तक ऐसी हालत बनी रहने पर भूख पूरी तरह समाप्त हो जाती है और रोगी को भोजन की खुशबू से भी अरूचि होने लगती है। कभी-कभी संक्रामक रोगों के चलते भूख नष्ट हो जाती है। जब किसी कारण से शरीर में खून की ज्यादा कमी हो जाने से रक्ताल्पता (एनीमिया) रोग हो जाता है तो रोगी की भूख समाप्त हो जाती है। रोगी को भोजन को देखकर ही घिन आने लगती है चाहे कितना भी रोगी का पसंदीदा भोजन क्यों न हो उसका मन बिल्कुल भी खाने को नहीं करता। यकृत (जिगर) की खराबी उत्पन्न होने पर भी भूख(bhook/bhuk) नहीं लगती।
लक्षण :
इस रोग में रोगी को भोजन अच्छा नहीं लगता। रोगी को अगर जबरदस्ती खाने को कहा जाए तो उसे भोजन अरुचिकर लगता है। रोगी 1 या 2 ग्रास से ज्यादा नहीं खा पाता। उसे बिना कुछ खाए-पिए खट्टी डकारे आने लगती है। कुछ भी काम करने और सीढ़ियां चढ़ने में रोगी को बहुत थकावट महसूस होती है। शरीर में कमजोरी महसूस होती है। रक्ताल्पता (एनीमिया) रोग की चिकित्सा में अगर ज्यादा देर हो जाए तो रोगी मरने की हालत में हो जाता है।
भोजन और परहेज :
• चोकर वाले आटे की रोटियां खानी चाहिए।
• पुराने चावल का भात खाना चाहिए।
• दूध, नींबू, अंगूर, आम, अनार, तरबूज आदि फलों के रस पीना चाहिए।
• पके हुए बेर, मूली, मौसमी, नींबू खाना भी काफी लाभदायक है।
• पानी में तैरना, सुबह की सैर और व्यायाम करना भी काफी अच्छा है।
• सड़ी-गली और बासी चीजें नही खानी चाहिए।
• गंदा पानी नहीं पीना चाहिए।
• गंदे स्थानों में रहना और गंदी और घृणा वाली चीजों से दूर रहना चाहिए। धूप और आग के पास अधिक नहीं रहना चाहिए।
• भोजन के बाद एक ही स्थिति में अधिक देर तक नहीं बैठना चाहिए।
• ज्यादा डर व गुस्सा रोगी के लिए नुकसान दायक होता है।
भूख बढ़ाने के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे :
1. नींबू :
• एक लौंग का चूर्ण और 5 कालीमिर्च का चूर्ण नींबू की शिकंजी में मिलाकर दिन में 2 बार पीने से अरुचि खत्म होकर भूख लगने लगती है और भोजन पचाने की क्रिया तेज हो जाती है।
• नींबू को काटकर कालानमक का चूर्ण छिड़क कर चाटने से भूख न लगना ठीक होता है।
• नींबू का रस पीने से पेट की गर्मी कम होती है और पाचनक्रिया तेज होती है।
• नींबू के एक चम्मच रस में थोड़ी कालीमिर्च व सेंधानमक का चूर्ण मिलाकर भोजन से पहले गर्म करके पीने से भूख खुलकर लगती है।
• नींबू को काटकर इसमें सेंधानमक डालकर भोजन करने से पहले चूसने से कब्ज दूर होकर पाचनक्रिया तेज होती है।
2. पीपल :
• 5 ग्राम पीपल, 15 ग्राम टाटरी, 3 ग्राम हींग, 3 ग्राम भुना हुआ सफेद जीरा और 50 ग्राम मिश्री को एक साथ पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। यह चूर्ण 3-3 ग्राम की मात्रा में दिन में 3-4 बार चाटने से अरुचि दूर होती है और भूख भी खुलकर लगती है।
• पीपल के पके फलों के सेवन करने से कफ, पित्त, रक्तदोष, विषदोष, जलन, उल्टी तथा अरूचि दूर होकर भूख(bhook/bhuk) बढ़ती है।
3. संतरा :
• 100 मिलीलीटर संतरे के रस में थोड़ा सा सेंधानमक और 5 कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर खाने से अरुचि खत्म होती है और भूख लगने लगती है। जामुन, फालसा और संतरा खाने से भी भूख लगने लगती है।
• संतरा खाने से अरूचि रोग ठीक होता है और भूख तेज होती है।
4. खजूर : खजूर को नींबू के रस के साथ पीसकर चटनी की तरह चाटकर खाने से अरुचि रोग ठीक होता है।
5. अमलतास : 10 ग्राम अमलतास और 5 ग्राम अजवायन को लगभग 400 मिलीलीटर पानी में मिलाकर काढ़ा बनाएं। इस काढ़े को सुबह-शाम पीने से अरुचि रोग खत्म हो जाता है और भूख खुलकर लगती है।
6. असगंध : 15 ग्राम ताजे असगंध का रस निकालकर इसमें 30 ग्राम खांड मिलाकर पकाकर सेवन करें। इसके सेवन से अरुचि रोग समाप्त होती है और कब्ज दूर होती है।
7. आंवला :
• मुनक्का और आंवला 10-10 ग्राम को एक साथ पीसकर मुंह में रखकर चूसने से भूख लगने लगती है।
• नागरामोथा, दालचीनी और आंवला को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3-3 ग्राम की मात्रा में दिन में 2-3 बार मुंह में रखकर चूसने से अरुचि समाप्त होती है।
• हरे आंवले का रस प्रतिदिन पीने से पाचनक्रिया तेज होती है और भूख लगने लगती है।
• प्रतिदिन सुबह खाली पेट आंवला के 5-6 ग्राम पत्ते को सेंककर खूब चबा-चबाकर खाने से भूख खुलकर लगती है।
8. अनार :
• 5 ग्राम शहद, 25 मिलीलीटर अनार का रस और 3 ग्राम कालानमक मिलाकर पीने से अरुचि दूर होती है।
• अनार के दाने को चबाकर खाने से अरूचि नष्ट होती है।
• कालीमिर्च आधा चम्मच, सेंका हुआ जीरा एक चम्मच, सेंकी हुई हींग चने की दाल के बराबर, सेंधानमक स्वादानुसार और अनारदाना 70 ग्राम। इन सभी को पीसकर चूर्ण बनाकर सेवन से अरुचि नष्ट होती है तथा मन प्रसन्न रहता है।
9. कालानमक : कालनमक चाटने से पेट में जमा गैस निकल जाती है और कब्ज दूर होकर भूख बढ़ती है।
10. चुकन्दर : प्रतिदिन भोजन करने से 30-40 मिनट पहले चुकन्दर, गाजर, टमाटर, पालक और हरी साग-सब्जियों तथा फलीदार सब्जियों का रस निकालकर पीने से भूख खुलकर लगती है और भोजन पचाने की क्रिया तेज होती है।
11. गेहूं :
• गेहूं के चोकर में सेंधानमक और अजवायन मिलाकर रोटी बनाकर खाने से भूख तेज होती है।
• नए उगे हुए गेहूं के छोटे-छोटे पौधे की कोमल पत्तियों को इकट्ठा करके पीसकर रस निकाल लें। यह रस प्रतिदिन सुबह पीने से हमेशा रहने वाला अरुचि दूर होती है।
12. सेब :
• एक सेब प्रतिदिन खाने और सेब का रस पीने से खून साफ होता है और भूख भी तेज होती है।
• एक गिलास खट्टे सेब के रस में स्वाद के अनुसार मिश्री मिलाकर कुछ दिनों तक प्रतिदिन पीने से भूख लगने लगती है। आटा गूंदते समय आटे में खट्टे सेब का रस मिला रोटी बनाकर खानी चाहिए।
13. लालमिर्च : लालमिर्च को नींबू के रस में पीसकर लगभग आधे-आधे ग्राम की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रख लें। इस 1-1 गोली प्रतिदिन पान में रखकर 40 दिनों तक खाने से भूख खुलकर लगती है।
14. टमाटर :
• टमाटर की चटनी को चाटने या पके हुए टमाटर की फांको पर कालीमिर्च का चूर्ण डालकर खाने से अरुचि समाप्त होती है।
• कप टमाटर और गाजर के रस में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर दिन में 2 बार पीने से भूख खुलकर लगती है और यकृत (जिगर) ठीक होता है।
15. जीरा :
• आधे से 2 ग्राम सफेद जीरे को गुड़ के साथ सुबह-शाम खिलाने से बुखार वाली हालत में भी पाचनक्रिया ठीक होकर भूख लगने लगती है। इस चूर्ण को खाने से पेट की जलन दूर होती है। पेशाब खुलकर आती है और बुखार भी ठीक होता है।
• एक गिलास गर्म पानी में 3 ग्राम जीरा, हींग, पोदीना, कालीमिर्च और नमक डालकर पीने से अरूचि दूर होती है।
16. पटुआ : 10 ग्राम पटुआ के पत्तों के रस में कालीमिर्ची व मिश्री मिलाकर मिलाकर खाने से कब्ज दूर होती है और भूख खुलकर लगती है।
17. सौंठ :
• 12-12 ग्राम सौंठ, कालीमिर्च, पीपल व अकरकरा, 50 ग्राम अनारदाना और 50 ग्राम सेंधानमक को एक साथ मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 5-5 ग्राम दिन में 2-3 बार खाने से अरुचि दूर होती है और भूख बढ़ती है।
• सौंठ और कायफल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन पीने से अरूचि रोग दूर होता है।
18. लता कस्तूरी : 2 से 4 ग्राम लता कस्तूरी के बीज का चूर्ण सुबह-शाम खाने से अरुचि समाप्त होती है।
19. अगर : आधे से डेढ़ ग्राम अगर को शहद के साथ सुबह-शाम खाने से अरुचि रोग समाप्त होकर भूख तेज होती है।
20. गुग्गुल : आधे से एक ग्राम तक गुग्गुल को घी के साथ सुबह-शाम खाने से भूख बढ़ती है और पाचनक्रिया तेज होती है।
21. आक : एक ग्राम के चौथई भाग से आधा ग्राम तक आक (मदार) के फूल में कालानमक या सेंधानमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन खाने से अरुचि रोग ठीक होता है और भूख लगने लगती है।
22. सलई : अरुचि में सालई (सलई) का फूल और फलों का काढ़ा बनाकर 20 से 40 ग्राम सुबह-शाम पीने से भूख लगने लगती है।
23. कुचला : एक चौथाई ग्राम से आधा ग्राम शोधित कुचला का चूर्ण सुबह-शाम खाने से भूख बढ़ती है।
24. मौसमी : अरुचि में मौसमी का रस सेवन करने से भूख तेज होती है।
25. इमली :
• 1 से 3 ग्राम इमली के बीजों की मींगी सुबह-शाम घोटकर पीने से पाचनशक्ति तेज होती है।
• पकी हुई तथा अधिक गूदेवाली इमली को ठंडे पानी में डालकर चीनी मिलाकर इसमें इलायची के दाने, लौंग, कपूर और कालीमिर्च डालकर बार-बार कुल्ला करने से अरुचि व पित्त का रोग दूर होता है।
• 1 गिलास पानी में इमली को मसलकर इसमें से पानी छानकर स्वाद के अनुसार नमक व कालीमिर्च डालकर पीने से भूख बढ़ती है।
26. अफसतीन : 10 से 15 बून्द अफसतीन का तेल सुबह-शाम रोगी को देने से भोजन पचाने की जगह में तेजी आती है जिससे भूख खुलकर लगती है।
27. कपूर : 3 से 4 ग्राम कपूर के चूर्ण को किसी खाने की चीज में मिलाकर या पानी के साथ सेवन करने से अरुचि रोग ठीक होकर पाचनशक्ति तेज होती है।
28. फालसा : फालसा को सेंधानमक व कालीमिर्च के साथ खाना से अरूचि दूर होती है।
29. मूली :
• भोजन करने के साथ मूली पर नमक व कालीमिर्च डालकर लगातार 2 महीने तक खाने से अरूचि रोग ठीक होता है।
• ताजे मूली पत्ते समेत काटकर इसमें अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े और नींबू का रस तथा सेंधानमक मिलाकर भोजन से पूर्व और भोजन के साथ खाने से अरूचि की शिकायत दूर होती है।
30. चीनी : खाने पीने की इच्छा न होने पर एक कप पानी में स्वाद के अनुसार चीनी, इमली तथा बारीक पिसी हुई चौथाई चम्मच कालीमिर्च मिलाकर दिन में 4 बार पीने से भोजन करने का मन करने लगता है।
31. अदरक :
• 500 ग्राम अदरक पीसकर इसमें बहुत सारा नींबू का रस, कालीमिर्च व सेंधानमक डालकर खूब अच्छी तरह मिला लें और लगभग 24 घंटे तक रहने दें। इसके बाद इसे साफ कपड़े पर फैलाकर धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। सूख जाने के बाद एक टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से भूख खुलकर लगती है और हाजमा अच्छा होता है।
• 10 से 20 मिलीलीटर अदरक के रस को पकाकर सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से भूख बढ़ती है।
• प्रतिदिन भोजन करने से पहले अदरक को काटकर सेंधानमक लगाकर खाने से भूख बढ़ती है, अरुचि समाप्त होती है और साथ ही स्वरभंग का रोग ठीक होता है।
32. अंगूर : प्रतिदिन अंगूर खाने से पाचनक्रिया तेज होती है और भूख बढ़ती है।
33. धनिया :
• धनिया, छोटी इलायची और कालीमिर्च बराबर मात्रा में मिलाकर और पीसकर इसमें चौथाई चम्मच घी और चीनी मिलाकर सेवन करने से अरुचि दूर होती है और भूख लगने लगती है।
• हरे धनिये का 3 मिलीलीटर रस प्रतिदिन पीने से भूख खुलकर लगती है।
• धनिया, सोंठ, सेंधानमक और काला जीरा को मिलाकर चूर्ण बना लें और यह 2-3 ग्राम दिन में 4 बार सेवन करें। यह पाचनक्रिया को तेज करके भूख बढ़ाता है।
35. पोदीना :
• पुदीना का रस शहद के साथ खाने या पुदीना की चटनी खाने से अरुचि रोग दूर होता है।
• पोदीना, हरा धनिया, कालीमिर्च की चटनी बनाकर इसमें नींबू का रस मिलाकर खाने से अरूचि (भूख का न लगना) समाप्त होती है और पाचनशक्ति बढ़ती है।
36. बेर : पके हुए बेर खाने से अरुचि खत्म होकर भूख लगने लगती है।
37. अजवायन :
• अजवायन में स्वाद के अनुसार कालानमक मिलाकर गर्म पानी के साथ खाने या घोल बनाकर पीने से अरुचि दूर होती है।
• अजवायन और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर छाया में सुखा लें। सूखने के बाद इसमें मूली का रस डालकर दुबारा सुखाएं। अब इसमें थोड़ा सा कालानमक मिलाकर एक ग्राम के चौथई मात्रा में सेवन करें। इससे भूख खुलती और खट्टी डकारे, पेट का दर्द और बदहजमी के साथ अपच समाप्त होता है।
• 1 से 3 ग्राम जंगली अजवायन के चूर्ण खाने से भूख तेज लगने लगती है और अफारे का रोग दूर होता है।
38. कमरख : 20 से 30 मिलीलीटर कमरख का रस लेकर इसमें थोड़ी चीनी और थोड़ा पानी मिलाकर शर्बत बनाकर सुबह-शाम पीने से भूख खुलकर लगती है।
39. बर्फ : गर्मी के कारण जब भूख न लगे या कम भूख लगे तो खाना खाने से 1 घंटा पहले बर्फ का पानी पीने से भूख खुलकर लगती है।
40. अमरूद : खाना खाने के बाद 250 ग्राम अमरूद प्रतिदिन खाने से भूख तेज लगने लगती है।
41. करेला : चौलाई, करेला और मेथी की सब्जी बनाकर खाने से पाचनक्रिया तेज होती है।
42. मोठ : मोठ की दाल खाने से अरूचि दूर होती है और भूख खुलकर लगती है।
43. मेथी :
• यदि भूख न लगती हो तो 7 ग्राम मेथी दाना में थोड़ा-सा घी डालकर सेंके और जब मेथी लाल हो जाए तो उतारकर पीस लें। यह चूर्ण 5 ग्राम लेकर शहद में मिलाकर लगभग 45 दिनों तक सेवन करने से भूख खुलकर लगने लगती है।
• प्रतिदिन मेथी से छोंकी गई दाल या साग-सब्जी खाने से भूख बढ़ती है, मुंह का स्वाद ठीक होता है और भोजन के प्रति रूचि बढ़ती है।
44. गन्ना : गन्ने के रस को आग या धूप में हल्का गर्म करके शीशी या चीनी मिट्टी के बर्तन में भरकर रख लें। इस रस का 7 दिनों के बाद सेवन करने से अरूचि नष्ट होती और भोजन पचाने की क्रिया भी तेज होती है।
45. सोडा : भूख न लगती हो तो 1 चम्मच खाने का सोडा गर्म पानी में मिलाकर पीएं। इससे भूख लगने लगती है।
46. लहसुन : लहसुन, हरा, धनिया, अदरक, सफेद द्राक्ष, चीनी और सेंधानमक की चटनी बनाकर खाने से अरूचि दूर होती है और खाना भी जल्दी पचता है।
47. नीम : नीम के पेड़ के 8 से 10 कोमल पत्ते को घी में भूनकर खाने से अरूचि दूर होती है।
48. लौंग : आधा ग्राम लौंग का चूर्ण 1 ग्राम शहद के साथ प्रतिदिन सुबह चाटने से थोडे़ ही दिनों में अरूचि दूर हो जाती है और भूख लगने लगती है।
49. नारियल : नारियल 160 ग्राम लेकर उसमें 40 ग्राम घी डालकर अच्छी तरह सेकें। फिर इसमें 160 ग्राम चीनी और 1 लीटर नारियल का पानी डालकर गुड़ के पाक जैसा बना लें। फिर इसमें धनिया, पीपर (पीपल), नागरमोथा, बांसपूर, जीरा, कालाजीरा, दालचीनी, तमालपत्ता, इलायची और नागकेशर का 5-5 ग्राम चूर्ण डालकर पाक बनाकर रख लें। इसका सेवन प्रतिदिन करने से अम्लपित्त, अरूचि (भूख का कम लगना) आदि रोग दूर होता है।
50. नागरमोथा : 10-10 ग्राम नागरमोथा और पित्तपापड़ा को मिलाकर काढ़ा बनाकर भोजन करने से एक घंटे पहले पीने से ज्वर के कारण भूख न लगना ठीक होता है।
51. बबूल : बबूल की कोमल फलियों के अचार में सेंधानमक मिलाकर खिलाने से रुचि बढ़ती है तथा पाचनक्रिया बढ़ती है।
52. तालीसपत्र : लगभग 3 ग्राम मिश्री और 3 ग्राम तालीस पत्र का चूर्ण दिन में 2 बार सेवन करने से अरुचि, कास, श्वास, स्वर भंग आदि रोगों में लाभ मिलता है।
53. तेजपात : तेजपत्ते का रायता सुबह-शाम सेवन करने से अरुचि (भूख न लगना) रोग दूर होता है।
54. त्रिफला : अच्युताय हरिओम त्रिफला, दाड़िम एवं रजादन मिलाकर सेवन करने से भूख खुलकर लगने लगती है।
55. गाजर : गाजर में विटामिन- ´बी´ कॉम्पलेक्स होता है जो पाचन संस्थान को शक्तिशाली बनाता है। भोजन न पचना, पेट में गैस होना आदि में गाजर का जूस पीना लाभकारी होता है। इससे आंतों की गैस, एंठन, सूजन, घाव, जलोदर आदि दूर होकर मल साफ होता है।