डाक्टरों का मानना है कि अनाजों में वज्र है बाजरा (Pearl Millet health and nutrition)




पुराने जमाने में  लोग गेहूं (Wheat )के साथ मोटा अनाज (Millet) ( जौ , चना , बाजरा ) भी खाते थे , इसलिए मोटे अनाज से उन्हें पौष्टिक तत्व मिलते थे और वह तंदुरूस्त(Healthy) रहते थे। मगर आज के भाग दौड़ के जमाने में लोग सेहत तो बनाना चाहते है मगर फास्ट फूड (Fast food) से ही अपना काम चलाते नजर आ रहे है। जो लोगों को बीमारी के अलावा और कुछ नहीं दे रहा है। बात यही नहीं खत्म हाेती आज की युवा पीढ़ी को तो मोटे अनाज का मतलब ही नहीं पता है।

 जबकि कई मोटे अनाजों में प्रोटीन का स्तर गेहूं के नजदीक ठहरता है , वे विटामिन ( खासतौर पर विटामिन बी ), लौह , फॉस्फोरस तथा अन्य कई पोषक तत्त्वों के मामले में उससे बेहतर हैं। ये अनाज धीरे धीरे खाद्य श्रृंखला से बाहर होते गए क्योंकि सरकार ने बेहद रियायती दरों पर गेहूं और चावल की आपूर्ति शुरू कर दी। साथ ही सब्सिडी की कमी के चलते मोटे अनाज के उपयोग में कमी जरूर आई लेकिन पशुओं तथा पक्षियों के भोजन तथा औद्योगिक इस्तेमाल बढऩे के कारण इनका अस्तित्व बचा रहा। इनका औद्योगिक इस्तेमाल स्टार्च और शराब आदि बनाने में होता है।


बाजरे में प्रोटीन व् आयरन प्रचुर मात्रा में होता है . इसमे कैंसर कारक टाक्सिन नही बनते है , जो की मक्का तथा ज्वार में बन जाते है । बाजरे की प्रकृति गरम होती है। अत : बाजरा खाने वालों को अर्थ्राइटिस , गठिया , बाव व दमा आदि नहीं होता। बाजरा खाने से मांसपेशियां मजबूत होती है। बाजरे में उर्जा अधिक होती है जिससे बाजरा खाने वाले अधिक शक्तिशाली व् स्फूर्तिवान होते हैं।
बाजरे से आयरन की कमी नही होती उसे अनीमिया नही होता , हिमोग्लोबिन तथा प्लेटलेट्स ऊँचे रहते हैं। बाजरा हमेशा देसी वाला ( तीन माही ) ही खाएं . संकर बाजरे ( साठी ) की गुणवता अच्छी नही होती। हालाँकि देशी बाजरे की उपज कुछ कम होती है परन्तु इसकी पौष्टिकता , नैरोग्यता व् गुणवता कई गुना अच्छी होती है।
गेहूं और चावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है। डाक्टरों का कहना है कि बाजरे की रोटी खाना सेहत के लिए बहुत लाभदायक है। बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो हड्डियों के लिए रामबाण औषधि है। आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम की गोलियां खाने के स्थान पर रोज बाजरे की दो रोटी खाने की सलाह चिकित्सकों ने एकमत होकर दी है।





डाक्टर तो बाजरे के गुणों से इतने प्रभावित है कि इसे अनाजों में वज्र की उपाधि देने में जुट गए हैं। उनके मुताबिक बाजरे का किसी भी रूप में सेवन लाभकारी है। बाजरे की खिचड़ी , चाट , बाजरा राब , बाजरे की पूरी , बाजरा – मोठ घूघरी , पकौड़े , कटलेट , बड़ा , सूप , कटोरी चाट , मुठिया , चीला , ढोकला , बाटी , मठरी , खम्मन ढोकला , हलवा , लड्डू , बर्फी , मीठी पूरी , गुलगुले , खीर , मीठा दलिया , मालपुआ , चूरमा , बिस्कुट , केक , बाजरे फूले के लड्डू , शक्कर पारे आदि कई व्यंजन बनाये जाते है |

बाजरे की रोटी को हमेशा गाय के घी के साथ ही खाते हैं जिससे वह पौष्टिकता व ताकत देती है। बाजरे की ठंडी रोटी को छाछ , दही या रबड़ी के साथ भी बड़े चाव के साथ खायी जाती है। बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं सता सकता।

बाजरा में पाए जाने वाले आवश्यक तत्व 1. मैग्नीशियम 2. कैल्शियम 3. मैग्नीज 4. ट्रिप्टोफेन 5. फास्फोरस 6. फाइबर (रेशा) 7. विटामिन—बी 8. एण्टीआक्सीडेण्ट



बाजरा के लाभ nutrition facts

1. यह आसानी ने पच जाता है।

2. शरीर व मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है।

3. मैग्नीशियम सिर दर्द एवं हार्ट अटैक के खतरे को कम करता है।

4. नियासिन (विटामिन बी 3) कोलेस्ट्राल की मात्रा को कम करता है।


5. फास्फोरस वसा के पाचन, ऊतकों की मरम्मत एवं ऊर्जा पैदा करता है।

6. मधुमेह (टाइप 2) के खतरे को कम करता है।

7. बाजरे में पाया जाने वाला फाइबर, कैंसर (मुख्यतया स्तन कैंसर) के खतरे को कम करता है।

8. छोटे बच्चों में होने वाले अस्थमा रोक की सम्भावना को कम करता है।

9. बड़ी आंतों में पानी की कमी नहीं होने देता है। बाजरा व अन्य अनाजों का तुलनात्मक विभाजन।


 हड्डियों के रोग से बचाता है बाजरा

बाजरे की रोटी का स्वाद जितना अच्छा है, उससे अधिक उसमें गुण भी हैं।

1. बाजरे की रोटी खाने वाले को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाला रोग आस्टियोपोरोसिस और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं होता।

2. बाजरा लीवर से संबंधित रोगों को भी कम करता है।

3. गेहूं और चावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है।

4. बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो हड्डियों के लिए रामबाण औषधि है। उधर आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते।
5. खासतौर पर गर्भवती महिलाओं ने कैल्शियम की गोलियां खाने के स्थान पर रोज बाजरे की दो रोटी खाना चाहिए।

6. गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन की जगह बाजरे की रोटी और खिचड़ी दी जाती थी। इससे उनके बच्चों को जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक कैल्शियम और आयरन की कमी से होने वाले रोग नहीं होते थे।
7. इतना ही नहीं बाजरे का सेवन करने वाली महिलाओं में प्रसव में असामान्य पीड़ा के मामले भी न के बराबर पाए गए।

8. डाक्टर तो बाजरे के गुणों से इतने प्रभावित है कि इसे अनाजों में वज्र की उपाधि देने में जुट गए हैं।

9. बाजरे का किसी भी रूप में सेवन लाभकारी है।

10. लीवर की सुरक्षा के लिए भी बाजरा खाना लाभकारी है।

11. उच्च रक्तचाप, हृदय की कमजोरी, अस्थमा से ग्रस्त लोगों तथा दूध पिलाने वाली माताओं में दूध की कमी के लिये यह टॉनिक का कार्य करता है।

12. यदि बाजरे का नियमित रूप से सेवन किया जाय तो यह कुपोषण, क्षरण सम्बन्धी रोग और असमय वृद्धहोने की प्रक्रियाओं को दूर करता है।

13. रागी की खपत से शरीर प्राकृतिक रूप से शान्त होता है। यह एंग्जायटी, डिप्रेशन और नींद न आने की बीमारियों में फायदेमन्द होता है। यह माइग्रेन के लिये भी लाभदायक है।



14. इसमें लेसिथिन और मिथियोनिन नामक अमीनो अम्ल होते हैं जो अतिरिक्त वसा को हटा कर कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते है।



15. बाजरे में उपस्थित रसायन पाचन की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। डायबिटीज़ में यह रक्त में शकर की मात्रा को नियन्त्रित करने में सहायक होता है।


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