नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है. सच्चे मन से मां की अराधना करने पर शत्रुओं का नाश होता है और मन से हर प्रकार का डर दूर हो जाता है. इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है. उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं. सभी जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं. जिन लड़कियों की शादी नहीं हो रही है, उन्हें देवी कात्यायनी की अराधना जरूर करनी चाहिए, जिससे उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होगी.
ऐसे पड़ा माता का नाममाना जाता है कत नाम के एक प्रसिद्ध महर्षि थे, उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए. इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे. इन्होंने भगवती की बहुत वर्षों तक कठिन तपस्या की थी. उनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें. तपस्या से प्रसन्न होकर देवी भगवती ने महर्षि की इच्छा पूरी की और उनके घर जन्म लिया, जिससे उनका नाम कात्यायनी पड़ा.
मां के नाम से जुड़ी दूसरी कहानी भी है. जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया. महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की. इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं.
ऐसे करें उपासनानवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की उपासना का दिन होता है. मां दुर्गा के इस छठे रूप की अराधना करते हुए इस श्लोक का जाप करें-
'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इस श्लोक का अर्थ है- हे मां! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है.जिन लड़कियों के विवाह में दिक्कत आ रही हो वो मां कात्यायनी का स्मरण करते हुए इस मंत्र का जाप करें-
ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ! नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:। .
वहीं षष्ठी तिथि के दिन पूजा के दौरान प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए. इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है.इस रंग के पहनें कपड़ेइस दिन अगर लाल रंग पहना जाए तो वो बहुत ही शुभ होगा. यह रंग सफलता, उत्साह, शक्ति, सौभाग्य एवं ताकत को दर्शाता है. जिन लोगो को यह रंग पसंद होता है वे विशाल हृदय के स्वामी, उदार उत्तम वयक्तित्व गुणों वाले होते हैं.