बहेड़ा का परिचय : 1. इसे विभीतक (संस्कृत), बहेड़ा (हिन्दी), बयड़ा (बंगला), बहेड़ा (मराठी), बहेड़ा (गुजराती), अक्कल (तमिल), ताड़ि (तेलुगु), बलोलज (अरबी) तथा टामेनेलिया बेलेरिका (लैटिन) कहते हैं।
2. बहेड़ा का वृक्ष काफी ऊँचा, पीलाई लिये सफेद छालवाला होता है। बहेड़ा के पत्ते बरगद के पत्तों से मिलते-जुलते, 3-6 इंच लम्बे और 2-3 इंच चौड़े, छोटी टहनियों के अन्त में लगे रहते हैं। बहेड़ा के फूल छोटे, पीलापन लिये लगते हैं। बहेड़ा के फल अण्डाकार, कत्थई रंग के होते हैं। फलों में एक बीज रहता है।
3. यह भारत में सर्वत्र पाया जाता है। विशेष रूप से पहाड़ी प्रदेशों में होता है।
बहेड़ा का रासायनिक संघटन : इसके फल में गैलोटेनिक एसिड, रंजकद्रव्य और रेजिन होते हैं। बीजों में हरापन लिये पीले रंग का तेल 25 प्रतिशत होता है।
बहेड़ा के गुण : यह स्वाद में कसैला, पचने पर मधुर तथा रूखा, हल्का तथा गर्म है। इसका मुख्य प्रभाव श्वसन-संस्थान (रेस्पायरेटरी सिस्टम) पर छेदक, श्लेष्महर (श्वास-नलिकाओं की सूजन कम करने तथा कफ नष्ट करनेवाला) रूप में पड़ता है। यह शोथहर, पीड़ाहर, अग्निदीपक, चर्मरोगहर, कृमिनाशक, रसायन, नेत्रों तथा केशों के लिए हितकर है।
बहेड़ा के प्रयोग ( bahera benefits in hindi )
1. सूजन : इसके फल की मज्जा एवं छाल का लेप करने से सूजन कम हो जाती है।
2. नेत्र की सफेदी : बहेड़ा के बीज की गिरी शहद में घिसकर नेत्र की सफेदी (फुल्ली) में लगाने से आराम हो जाता है।
3. श्वास-कास : सब प्रकार के श्वास-कास पर बहेड़े के फल की छाल पीसकर घी में भूनकर शहद के साथ खाने से श्वास-कास में लाभ होता है। कफ आसानी से निकल जाता है। इसे पुटपाक करके भी पका सकते हैं। मुख में टुकड़े रखने से भी लाभ होता है। इसकी मात्रा 1 माशा से 3 माशा है।
4. अतिसार : बहेड़ा के फल को जलाकर उसके चूर्ण में काला नमक मिलाकर देने से अतिसार मिट जाता है। मात्रा 1-2 माशा है।
5. जलन में फायदेमंद : बहेड़ा के बीज को पानी में घिसकर उसका लेप किसी भी जलन वाले स्थान पर लगाने से तुरन्त आराम आ जाता है।
6. कामशक्ति : रोजाना एक बहेड़ा खाने से कामशक्ति बढ़ती है।
7. कब्ज : बहेड़ा के कच्चे फल को पीसकर रोजाना सेवन करने से कब्ज ठीक हो जाता है और पेट बिलकुल साफ़ हो जाता है।
8. बालों के लिए फायदेमंद : बहेड़ा के फल के चूर्ण को पूरी रात पानी में डाल कर रखें और सुबह उसी पानी से बालों को धो लें। बालों का गिरना बंद हो जाता है और जड़ें मजबूत हो जाती है।
9. पेचिश : बहेड़ा के चूर्ण को शहद के साथ रोजाना लेने से पेचिश ठीक हो जाता है।
10. मुँहासे : रोजाना बहेड़ा के गिरी का तेल मुहांसों पर लगाने से मुँहासे ठीक हो जाते हैं।
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