करवाचौथ का व्रत



विवाहित महिलाओं के लिए करवाचौथ का व्रत एक खास अहमियत रखता है। इस दिन जहां सुहागिनें सज-धज कर अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। वही करवा बटाकर कथा सुनती हैं। आठ अक्टूबर को मनाए जा रहे करवाचौथ पर्व को लेकर सुहागिनों ने बाजारों में करवा खरीदना आरंभ कर दिया है। जो रंग¨बरगें रंगो से सुशोभित बाजार में अकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। बताया जा रहा है कि इस दिन महिलाएं व युवतियां करवाचौथ का व्रत रखती हैं। इस दौरान सुबह से ही महिलाएं भूखे पेट रहकर रात में चांद दिखाई देने के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं। ¨हदू धर्म में करवा का मतलब दीया तथा चौथ का मतलब चार होता है। यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
वहीं, पंडित  गौतम ने कहा कि पति की दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इसदिन भालचंद्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चंद्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। आज कल करवाचौथ वे कन्याएं भी रखती हैं जिन्हें एक अच्छे पति की चाह होती है। यह व्रत गांव तथा शहर दोनों जगहों में बसी महिलाएं रखती हैं। करवाचौथ रखने के लिए व्रत के साथ पूजन सामग्री और कुछ समान की आवश्यकता पड़ती है।


क्या है पूजन सामग्री : 

करवाचौथ कथा एक किताब में लिखी हुई कहानी को घर की कोई बुजुर्ग महिला या फिर पंडित जी पढते हैं।
- पूजा थाली : पूजा की थाली में रोली, चावल, पानी से भरा करवा लौटा, मिठाई, दिया और ¨सदूर रखें।
पंजाब में व्रत रखने वाली महिलाएं थाली में स्टील की छननी, पानी भरा गिलास और लाल धागा रखती हैं तो वहीं पर राजस्थान में महिलाएं गेहूं, मिट्टी आदि रखती हैं।
- करवा : मिट्टी में शक्कर की चासनी मिलाकर उस मिट्टी से तैयार किए गए मिट्टी के करवे अथवा तांबे के बने हुए करवे।
- श्रृंगार वस्तुएं: अपने पति को लुभाने के लिए महिलाएं उस दिन दुल्हन की तरह श्रृंगार करती हैं। हाथों में मेहंदी और चूडियां पहनती हैं।
- पूजन विधि : बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बाधकर देवता की भावना करके स्थापित करें। पश्चात यथाशक्ति देवों का पूजन करें।
- खाने की वस्तुएं : हर घर में अलग-अलग प्रकार की मिठाइयां बनाई जाती हैं। कई लोग कचौड़ी, सब्जी और अन्य व्यंजन बनाते हैं।
कई प्रकार के आए हैं करवे :
मिट्टी के बर्तनों का काम करने वाले ज्ञान चंद ने कहा कि आज समय की मांग के हिसाब से 20 रुपये से लेकर 30 रुपये तक के करवे उपलब्ध हैं। वह पिछले 58 वर्षों से काम करते आ रहे हैं। इसके अलावा रंगबिरंगे रंगों से सजे करवे भी ग्राहकों की पंसद बने हुए हैं।


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