करवा चौथ पर सुहागिनें आज निर्जला रहकर आजीवन सुहागन और दांपत्य जीवन में आने वाली तमाम बाधाएं दूर करने के लिए ईश्वर से कामना करेंगी। पंचांग के अनुसार रविवार को चंद्रोदय का समय शाम 7 बजे 51 मिनट का है। चंद्रमा देखने के बाद ही सुहागिनें पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलेंगी। करवाचौथ का उल्लास शनिवार को बाजारों में दिखाई दिया। शहरी और ग्रामीण अंचल की महिलाओं ने बाजारों में आभूषणों, परिधान व सौंदर्य और पूजा सामग्री की जमकर खरीदारी की। व्रत का उल्लास और मनपसंद वस्तुओं की खरीदारी की खुशी महिलाओं के चेहरों पर झलकी। खरीदारी से सुस्त पड़ा बाजार भी अंगड़ाई लेता दिखा।
रविवार को करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा। एक दिन पूर्व शनिवार को शाम होते ही मेहंदी लगवाने का खुमार शुरू हुआ। मेहंदी की दुकानों पर पहुंच कर महिलाओं ने अधिक रचने वाली मेहंदी की खरीदारी की। महिलाओं ने ब्यूटी पार्लर पहुंच कर हाथों में खूबसूरत मेहंदी भी लगवाई। करवा चौथ के अवसर पर पत्नियों को गिफ्ट देने के लिए पति भी आभूषणों व कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी करते दिखे। बाजार में खरीदारी कर रही महिलाओं ने बताया कि अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए वह निर्जला व्रत करेंगी। शाम को सोलह श्रृंगार कर पति और चंद्रमा की पूजा के बाद ही व्रत तोड़कर भोजन ग्रहण करेंगी।
गर्भवती व्रत के दौरान बरतें सावधानी : महिलाओं के लिए खास पर्व के चलते इसे गर्भवती महिलाएं भी उत्सुकता से मनाती है, जबकि व्रत रखने में थोड़ी सी लापरवाही बरतने पर यह पर्व गर्भवती महिलाओं के लिए घातक भी साबित हो सकता है। पूरे दिन खाली पेट रहने के कारण ऐसी महिलाओं को सिर दर्द, जी मचलाना व चक्कर आना, एसिडिटी व लो ब्लड प्रेशर व उल्टी और दस्त जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इससे भी घातक प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चें पर भी पड़ता है। इस बाबत चिकित्सा अधिकारी डॉ.वीरेंद्र यादव ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को पहले तो व्रत रखना नहीं चाहिए। अगर व्रत धारण करती है तो, व्रत से पूर्व फलों व जूस का सेवन कर लें। व्रत के बाद एकदम से ज्यादा भोजन न करें। व्रत खोलने के साथ चाय व काफी आदि गर्म चीजों का सेवन बिल्कुल न करें।
इन बातों का रखें ध्यान
-व्रत के दौरान गर्भवती महिलाएं ज्यादा देर तक भूखा न रहने का प्रयास करें।
-व्रत के दौरान होने वाली समस्याओं के दौरान बगैर चिकित्सक परामर्श के किसी भी दवा का सेवन न करें।
- स्वच्छ व साफ कपड़ों को ही धारण करें।
- रसोई में या अन्य स्थानों पर अधिक समय तक खड़े रहकर करने वाले कामों से बचने का प्रयास करें।
- गर्भवती महिला कम से कम आठ घंटे तक सोने का प्रयास करें।
- व्रत के दूसरे पौष्टिक भोजन के साथ फलों व जूस का हल्की मात्रा में सेवन करें।